अयोध्या (Ayodhya) के भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की. यहां पर भगवान राम अपने बाल स्वरूप में विराजे हैं. रामलला की बाल छवि मन को छू लेने वाली है और उन्हें सोने और हीरे-मोती जड़े कई तरह के आभूषणों से श्रृंगार किया गया है. इन आभूषणों का निर्माण अध्यात्म रामायण, श्रीमद्वाल्मीकि रामायण, श्रीरामचरिमानस और आलवन्दार स्तोत्र के अध्ययन और उनमें वर्णित श्रीराम की शास्त्रसम्मत शोभा के अनुरूप काफी शोध और अध्ययन के बाद किया गया है.
शोध के अनुसार यतींद्र मिश्र की परिकल्पना और उनके निर्देशन में आभूषणों का निर्माण अंकुर आनन्द के लखनऊ स्थित हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने किया है.
भगवान बनारसी वस्त्र की पीताम्बर धोती और लाल रंग के पटुके / अंगवस्त्रम में सुशोभित हैं. इन वस्त्रों पर शुद्ध स्वर्ण की जरी और तारों से काम किया गया है, जिनमें वैष्णव मंगल चिन्ह- शंख, पद्म, चक्र और मयूर अंकित हैं. इन वस्त्रों का निर्माण अयोध्या में रहकर दिल्ली के वस्त्र सज्जाकार मनीष त्रिपाठी ने किया है.
आइए जानते हैं कि भगवान ने कौनसे आभूषणों को धारण किया है.शीर्ष पर मुकुट या किरीट
यह उत्तर भारतीय परंपरा में स्वर्ण निर्मित है, जिसमें माणिक्य, पन्ने और हीरे जड़े हैं. मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य हैं. साथ ही मुकुट के दायीं ओर मोतियों की लड़ियां पिरोई हैं.
कुंडल
मुकुट या किरीट के अनुरूप और उसी डिजाइन के साथ भगवान के कर्ण-आभूषण बनाए गए हैं, जिनमें मयूर की आकृतियां बनी हैं. यह भी सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित हैं.
कंठा
गले में अर्द्धचंद्राकार रत्नों से जड़ित कंठा सुशोभित है, जिसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं और मध्य में सूर्य देव हैं. सोने से बना यह कंठा हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा है. इसके नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गई है.
कौस्तुभमणि
भगवान के हृदय में कौस्तुभमणि धारण कराई गई है, जिसे एक बड़े माणिक्य और हीरों से सजाया गया है. शास्त्र के मुताबिक, भगवान विष्णु और उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं. इसलिए इसे धारण कराया गया है.
पदिक
यह कंठ से नीचे तथा नाभिकमल के ऊपर पहनाया गया हार होता है, जिसका देवता अलंकरण में विशेष महत्व है. पांच लड़ियों वाले हीरे और पन्ने के पांच लड़ियों वाले पदिक के नीचे एक बड़ा पेंडेंट लगाया गया है.
वैजयंती या विजयमाल
यह भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लंबा स्वर्ण निर्मित हार है, जिसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाए गए हैं. इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहना जाता है, जिसमें वैष्णव परंपरा के समस्त मंगल चिह्न सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल कलश दर्शाया गया है. इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है, जो क्रमश: कमल, चंपा, पारिजात, कुंद और तुलसी हैं.
कमर में कांची या करधनी
भगवान के कमर में करधनी धारण कराई गई है, जो रत्नजड़ित है. इसमें हीरे, माणिक्य, मोती और पन्ने जड़े हैं. पवित्रता का बोध कराने वाली छोटी-छोटी पांच घंटियां भी इसमें लगाई गई हैं. इन घंटियों में मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियां लटक रही हैं.
भुजबंध या अंगद
भगवान की दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित भुजबंध पहनाए गए हैं.
कंकण/ कंगन
दोनों ही हाथों में रत्नजड़ित सुंदर कंगन पहनाए गए हैं.
मुद्रिका
बाएं और दाएं दोनों हाथों की मुद्रिकाओं में रत्नजड़ित मुद्रिकाएं सुशोभित हैं, जिनमें मोती लगे हैं.
पैरों में पैजनियां
भगवान को पैरों में पैजनियां पहनाई गई हैं, यह स्वर्ण से बनी हैं.
हाथों में
भगवान के बाएं हाथ में धनुष है, जिनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकन हैं. इसी तरह से दाहिने हाथ में स्वर्ण बाण धारण कराया गया है.
गले में
भगवान को रंग बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण कराई गई है, जिसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित शिल्पमंजरी संस्था ने किया है.
खिलौने भी
इसके साथ ही भगवान के मस्तक पर उनके पारंपरिक मंगल-तिलक को हीरे और माणिक्य से रचा गया है. वहीं भगवान के चरणों में रामलला के चरणों को कमल से सुसज्जित किया गया है और उसके नीचे स्वर्णमाला सजाई गई है. श्रीरामलला पांच वर्ष के बालक के रूप में विराजे हैं, इसलिए पारंपरिक ढंग से उनके सामने खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने रखे गए हैं. इनमें झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी और पिट्ठू शामिल हैं. साथ ही प्रभा मंडल पर स्वर्ण का छत्र लगाया गया है.
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