राम मंदिर (Ram Mandir) परिसर में कल रामलला प्राण प्रतिष्ठा (Ramlala Pran Pratishtha) समारोह का भव्य आयोजन किया जाएगा. इस परिसर के भूतल पर पांच मंडप और गर्भगृह हैं. एनडीटीवी से खास बातचीत में श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि 2.7 एकड़ में फैले मंदिर क्षेत्र में श्रद्धालु भगवान तक कैसे पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि श्रद्धालु सबसे पहले एक बाहरी दीवार को पार करेंगे, जो कि मुख्य संरचनाओं से घिरी हुई है. मिश्रा ने कहा कि 795 मीटर के 'परकोटे' के अंदर पांच मंदिर और गर्व गृह (गर्भगृह) होंगे, जिसमें मुख्य मूर्ति होगी और श्रद्धालुओं को परिक्रमा करने की अनुमति होगी.
मिश्रा ने कहा, "गर्व गृह के ठीक सामने मंदिर में पांच मंडप हैं और गर्व गृह से पहली सीढ़ी तक मंदिर की कुल लंबाई करीब 400 फीट है."
मिश्रा ने पहले दावा किया था कि मंदिर को एक हजार साल से अधिक समय तक के लिए डिजाइन किया गया था. इसके निर्माण में लोहे या स्टील का उपयोग नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि मंदिर की नींव में इलेक्ट्रॉनिक सेंसर लगाए गए हैं, जिसके जरिये यह पता लगाया जा सकता है कि भूकंप के कारण इसके पत्थरों पर कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं. मिश्रा ने कहा, "यह सेंसर बताएंगे कि क्या पत्थरों में किसी तरह की हलचल या भूकंप जैसे बाहरी कारकों का मंदिर पर क्या प्रभाव पड़ता है. इसका अध्ययन लार्सन एंड टुब्रो (निर्माण फर्म) द्वारा नियमित रूप से किया जा रहा है. अनुबंध के आधार पर यह कुछ वर्षों तक जारी रहेगा." उन्होंने कहा कि संवेदी रिपोर्टें रूड़की में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट को भेजी जाती हैं.
उन्होंने कहा कि रामलला यानी बाल रूप में भगवान राम की मूर्ति मंदिर परिसर के भूतल पर गर्व गृह में होगी. मंदिर निर्माण की प्रगति को लेकर उन्होंने कहा कि मंदिर का यह हिस्सा पूरा हो गया है.
पहली मंजिल पर जारी है निर्माण कार्य
पहली मंजिल पर अभी निर्माण कार्य चल रहा है, जिसमें राम दरबार होगा. उन्होंने कहा कि यहां भगवान राम की मूर्ति के साथ ही सीता, उनके भाई और हनुमान भी होंगे.
दूसरी मंजिल पर मंदिर ट्रस्ट द्वारा स्वीकृत धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जाएगा.
गर्भ गृह में होंगी भगवान राम की दो मूर्तियांगर्व गृह में रामलला की दो मूर्तियां होंगी. मुख्य मूर्ति काले पत्थर की मूर्ति होगी. यहां वह मूर्ति भी होगी, जिसकी पूजा अस्थायी मंदिर में की जा रही है. उन्होंने कहा, "माना जाता है कि वह मूर्ति 1947 में प्रकट हुई थी" जिसे आज शाम नए मंदिर में ले जाया जाएगा.
जोर-शोर से की जा रही है मंदिर की सजावटअयोध्या में कल होने वाले 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह के लिए मंदिर में सजावट जोरों पर है. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देश भर की कई प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी.
500 स्वयंसेवक दिन-रात काम में जुटेमिश्रा ने कहा कि कार्यक्रम के आयोजन में मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय की मदद के लिए करीब 500 स्वयंसेवक दिन-रात काम कर रहे हैं.
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