'याचिका के पीछे दुर्भावनापूर्ण एजेंडा' : नियुक्ति मामले में राकेश अस्‍थाना का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा

राकेश अस्थाना ने हलफनामे में कहा, 'प्रशांत भूषण और NGO CPIL की उनके खिलाफ याचिका, व्यक्तिगत तौर पर बदले की भावना है और याचिका के पीछे दुर्भावनापूर्ण एजेंडा है.

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हलफनामे में राकेश अस्‍थाना ने दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में अपनी नियुक्ति को सही ठहराया है
नई दिल्‍ली:

केंद्र के बाद अब राकेश अस्थाना  (Rakesh Asthana) ने भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जवाब दाखिल किया है.  राकेश अस्थाना ने इसमें दिल्ली पुलिस आयुक्त के रूप में अपनी नियुक्ति को सही ठहराया. अस्थाना ने हलफनामे में कहा, 'प्रशांत भूषण और NGO CPIL की उनके खिलाफ याचिका, व्यक्तिगत तौर पर बदले की भावना है और याचिका के पीछे दुर्भावनापूर्ण एजेंडा है. ये  वास्तविक जनहित याचिकाएं नहीं हैं, बल्कि प्रक्रिया और मंच का घोर दुरुपयोग है.' हलफनामे में कहा गया है, 'याचिकाओं के बाद मेरे खिलाफ तीखा सोशल मीडिया अभियान चलाया गयाजिससे कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिष्ठा धूमिल हुई है. राष्ट्रीय राजधानी में कानून-व्यवस्था की स्थिति जटिल है और इसके दूरगामी परिणाम होंगे. राष्ट्रीय राजधानी में पुलिस आयुक्त की नियुक्ति में केंद्र सरकार को पूरी छूट दी जाए.' 

राकेश अस्थाना की नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट दो हफ्ते बाद अंतिम सुनवाई करेगा.सुप्रीम कोर्ट मामले को दो हफ्ते बाद सूचीबद्ध करेगा.याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि इस मामले में हलफनामे और जवाबी हलफनामे दाखिल हो चुके हैं. हम बहस करने को तैयार हैं, हमें 30-40 मिनट लगेंगे. 

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गौरतलब है कि राकेश अस्थाना की  बतौर दिल्ली पुलिस कमिश्नर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी. ये याचिका CPIL की ओर से प्रशांत भूषण ने दाखिल की थी. इसमें अस्थाना की नियुक्ति रद्द करने की मांग की गई है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश के मुताबिक, दिल्ली पुलिस आयुक्त की नियुक्ति करने को कहा गया है. इससे पहले वकील एमएल शर्मा इस मुद्दे पर एक याचिका दाखिल कर चुके हैं.गौरतलब है कि  राकेश अस्‍थाना को रिटायरमेंट से चंद दिन पहले दिल्‍ली का पुलिस आयुक्‍त नियुक्‍त किए जाने के मामले में सियासत भी गर्मा गई है. दिल्ली विधानसभा में पिछले महीने अस्‍थाना की दिल्‍ली के पुलिस कमिश्‍नर के तौर पर नियुक्ति के खिलाफ प्रस्‍ताव पारित किया है और गृह मंत्रालय से नियुक्ति वापस लेने को कहा है.

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