'मेरे बारे में सरकार के नकारात्मक विचार...' : जाते-जाते क्या बोले राजस्थान HC के चीफ जस्टिस

जस्टिस कुरैशी (Justice Aqeel Abdul Hameed Qureshi ) ने न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालयों द्वारा भेजी गई अधिवक्ताओं की सूची में शीर्ष अदालत द्वारा व्यापक रूप से काट-छांट करने करने को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया.

विज्ञापन
Read Time: 10 mins
Rajasthan High Court के मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए अकील अब्दुल हमीद कुरैशी
जोधपुर:

राजस्थान हाईकोर्ट के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश (Rajasthan High Court Chief Justice ) अकील अब्दुल हमीद कुरैशी ने शनिवार को कहा कि उनके बारे में सरकार के नकारात्मक विचार उनकी न्यायिक स्वतंत्रता का प्रमाणपत्र है. जस्टिस कुरैशी की यह टिप्पणी भारत के एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) की आत्मकथा में की गई टिप्पणियों के संदर्भ में है. पूर्व सीजेआई ने आत्मकथा में इस बारे में विस्तार से चर्चा की है कि मध्य प्रदेश और त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति पर राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिशें क्यों खारिज कर दी गई थी? अपने कार्यकाल के अंतिम दिन राजस्थान हाईकोर्ट के वकीलों और न्यायाधीशों के बीच जस्टिस कुरैशी (Justice Aqeel Abdul Hameed Qureshi ) ने न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालयों द्वारा भेजी गई अधिवक्ताओं की सूची में शीर्ष अदालत द्वारा व्यापक रूप से काट-छांट करने करने को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया.

उन्होंने आगाह किया कि इस तरह के कदम से बेहतर न्यायिक सोच वाले न्यायाधीशों का अभाव हो जाएगा. न्यायमूर्ति कुरैशी ने किसी पूर्व सीजेआई का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा स्पष्ट तौर पर पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई की ओर था, जिनकी आत्मकथा दिसंबर में प्रकाशित की गई थी. इसमें उन्होंने (पूर्व सीजेआई ने) गुजरात हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरैशी और मद्रास उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सहित कई न्यायाधीशों के तबादले के बारे में चर्चा की है.

न्यायमूर्ति कुरैशी ने कहा, मैंने (पूर्व सीजेआई की) आत्मकथा नहीं पढ़ी है, लेकिन मीडिया में प्रकाशित खबरें देखी हैं, जिसमें मध्य प्रदेश और त्रिपुरा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर मेरे नाम की सिफारिशों में हेरफेर के बारे में कुछ खुलासे किए गए हैं. यह कहा गया है कि सरकार के पास मेरे न्यायिक विचारों के आधार पर मेरे प्रति नकारात्मक अवधारणा बनी हुई थी.
उन्होंने कहा, एक संवैधानिक अदालत के न्यायाधीश के तौर पर हमारा कर्तव्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों की रक्षाा करना है, मेरा मानना है कि यह न्यायिक स्वतंत्रता का प्रमाणपत्र है.न्यायमूर्ति कुरैशी ने युवा वकीलों से अपने सिद्धांत पर अडिग रहने की भी अपील की.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Germany Christmas Market हमले में 7 भारतीयों के घायल होने की खबर | BREAKING NEWS
Topics mentioned in this article