कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को राजस्थान सरकार में चल रहे गतिरोध को हल करने के लिए जयपुर भेजा गया था. दरअसल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार 90 से अधिक विधायकों ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर इस्तीफा देने की बात कही थी. राजस्थान सरकार के इस संकट को हल करने के लिए कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के विधायकों के साथ आमने-सामने बैठकर बात करने वाले थे.
पार्टी पर्यवेक्षक को सोनिया गांधी ने आदेश दिया था कि वह विधायकों से एक-एक करके मिले. हालांकि अब खबर आ रही है कि पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन दोनों आज दिल्ली आएंगे और शीर्ष नेतृत्व को रिपोर्ट सौंपेंगे. नाराज विधायक पर्यवेक्षकों से मिलने को तैयार नहीं हैं. हाईकमान से चर्चा के बाद अब तय किया जाएगा कि अगला कदम क्या होगा.
बता दें कि गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायकों ने दो शर्तें रखी हैं. पहली की मुख्यमंत्री का उत्तराधिकारी कोई ऐसा होना चाहिए, जिन्होंने 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, न कि कोई ऐसा जो इसे गिराने के प्रयास में शामिल था. दूसरी यह कि वे तब तक कांग्रेस विधायक दल की बैठक नहीं चाहते जब तक कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव न हो जाए. जो कि 19 अक्टूबर को है. पहली शर्त से साफ है कि विधायक नहीं चाहते हैं कि पायलट मुख्यमंत्री बनें. जबकि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव जीतते हैं तो पायलट शीर्ष पद के लिए आलाकमान की पसंद हैं.
वहीं इस मामले में गहलोत का कहना है कि उनके हाथ में कुछ नहीं है क्योंकि विधायक नाराज हैं और मुख्यमंत्री पद के लिए पायलट का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं हैं.
200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं और 13 निर्दलीय का समर्थन है. इनमें से अधिकांश निर्दलीय पूर्व कांग्रेसी हैं जो गहलोत का समर्थन करते हैं. ये विधायक कल शाम धारीवाल के आवास पर भी मौजूद थे.
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