कांग्रेस ने पुरानी बातें भूलकर आगे बढ़ने को कहा : अशोक गहलोत से विवाद पर बोले सचिन पायलट

राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के लिए 25 नवंबर को वोटिंग है. NDTV ने इस कड़ी में सचिन पायलट से खास बातचीत की. इस दौरान हमने विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के गेम-प्लान और अशोक गहलोत के साथ उनके संबंधों पर पायलट की राय जानी.

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सचिन पायलट टोंक विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं.

जयपुर:

राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Elections 2023) होने हैं. राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) टोंक विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. पायलट पुरानी बातें भुलाकर इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी (Congress) के लिए जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं. इस बीच सचिन पायलट ने एक इंटरव्यू सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के साथ उनके विवाद और मनमुटाव को लेकर बड़ा बयान दिया है. पायलट ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने उन्हें पुरानी बीती बातें भुलाकर आगे बढ़ने को कहा है. वह चुनाव पर फोकस कर रहे हैं. सचिन पायलट ने दावा कि कांग्रेस पार्टी दोबारा से राजस्थान में सराकर बनाने जा रही है. उन्होंने कहा कि हम संघर्ष करेंगे और बहुमत हासिल करेंगे.

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राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर NDTV ने सचिन पायलट से खास बातचीत की. अशोक गहलोत के साथ अपने पुराने विवाद पर पायलट ने कहा, "यह अतीत की बात है... हमने कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की...पार्टी ने मेरी चिंताओं पर संज्ञान लिया.'' उन्होंने कहा .''पार्टी आलाकमान ने मुझसे कहा कि माफ करो, भूल जाओ और आगे बढ़ो.''

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पायलट ने कहा, "मेरा ध्यान अब साथ मिलकर काम करने पर है...किसी से कोई निजी दुश्मनी नहीं है. हमने राजस्थान में 30 साल से लगातार चुनाव नहीं जीता है. क्यों? हमें इस पर आत्ममंथन करने की जरूरत है.'' 

इससे पहले जुलाई में भी सचिन पायलट ने राजस्थान सीएम अशोक गहलोत के साथ मतभेद और बयानबाजियों को भूल जाने और एक-दूसरे को माफ करने की बात कही थी. उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा' से एक खास इंटरव्यू में कहा, ''अगर थोड़ा भी इधर-उधर होता है, तो यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. क्योंकि पार्टी और जनता किसी भी व्यक्ति से ज्यादा अहम है.''

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चुनाव में कांग्रेस को मिलेगा बहुमत
सचिन पायलट ने इस दौरान राजस्थान के कांग्रेस के दोबारा सत्ता में आने का दावा किया. उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी ऊर्जावान है. हमने कभी भी लगातार राजस्थान चुनाव नहीं जीते हैं. अब हमारी कोशिश इस चक्र को तोड़ने का है. हम ऐसा करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं. जनता के मूड में बदलाव देखा जा रहा है."

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सचिन पायलट ने कांग्रेस के गेम-प्लान को लेकर कहा, "मुख्य बात सोशल वेलफेयर स्कीम का है. अगर लोगों को नहीं लगता कि आप विश्वसनीय हैं... तो वे आप पर विश्वास नहीं करेंगे. कर्नाटक में हमने तुरंत काम पूरा किया... लोगों का भरोसा बढ़ा है."

उन्होंने कहा, "हम राजस्थान के लोगों के लिए सामाजिक कल्याण के साथ-साथ इंवेस्टमेंट और वेल्थ क्रिएशन (पैसा बनाने) पर भी ध्यान दे रहे हैं. हमें एक न्यायसंगत राजस्थान की जरूरत है... हमें युवाओं को मौके देने की जरूरत है."

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बीजेपी पर साधा निशाना
सचिन पायलट ने इस दौरान डबल इंजन सरकार वाले बयान को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "डबल इंजन...डबल इंजन. कैसा डबल इंजन?" पायलट ने एक रैली में गरजते हुए बीजेपी के वादे पर तीखे प्रहार करते हुए कहा, "एक इंजन हिमाचल प्रदेश में फेल हो गया... दूसरा कर्नाटक में फेल हुआ." पायलट ने कहा, "कांग्रेस को राजस्थान में सकारात्मक नतीजे का भरोसा है."

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CM पद पर पार्टी का फैसला अंतिम फैसला
सचिन पायलट ने सीएम पद के चेहरे को लेकर भी अपनी राय रखी. उन्होंने कहा, "कांग्रेस में जब भी केंद्रीय नेतृत्व कोई फैसला करता है, तो वह अंतिम होता है. हमारे पास सिर्फ एक चेहरा नहीं है. एक बार जब हमें जनादेश मिल जाएगा, तो फैसला करना विधायकों पर निर्भर है."

पेपर लीक पर गहलोत सरकार ने बनाया कानून
पायलट ने राजस्थान में परीक्षा पेपर लीक पर भी बात की. ये मामला पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कांग्रेस के राज्य प्रमुख गोविंद डोटासरा के घर की तलाशी के बाद सुर्खियों में आया था. पायलट ने कहा, "मैं इस खतरे को रोकने के लिए हर कदम का स्वागत करता हूं... राजस्थान ने एक कानून बनाया है कि (जो लोग पेपर लीक करते हैं) उन्हें आजीवन कारावास मिलेगा..." 

पायलट और गहलोत के बीच क्या है विवाद?
सचिन पायलट ने 2020 में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बागवत की थी. उस वक्त, दो साल तक राजस्थान के डिप्टी CM रह चुके सचिन पायलट 19 विधायकों को लेकर दिल्ली के पास एक पांच-सितारा रिसॉर्ट में पहुंच गए थे. यह कांग्रेस को सीधी चुनौती थी - या उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए, या वह कांग्रेस छोड़कर चले जाएंगे, और इसी वजह से कुछ ही राज्यों में शासन कर रही पार्टी एक राज्य में टूट भी गई थी.

लेकिन यह चुनौती कतई नाकाम साबित हुई, क्योंकि 45-वर्षीय सचिन पायलट से 26 साल सीनियर अशोक गहलोत ने उन्हें आसानी से पटखनी दे दी थी, और उन्होंने भी एक पांच-सितारा रिसॉर्ट में ही 100 से भी ज़्यादा विधायकों को ले जाकर अपनी ताकत दिखाई थी. साफ हो गया कि दोनों नेताओं में कोई मुकाबला था ही नहीं.

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