राहुल गांधी ने अहमदाबाद से भी डाला दलितों, आदिवासियों और ओबीसी पर डोरा, BJP-RSS पर साधा निशाना

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को पार्टी के अधिवेशन को अहमदाबाद में संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने दलितों, आदिवासियों और ओबीसी के मुद्दे उठाए. इस अवसर का इस्तेमाल उन्होंने आरएसएस और बीजेपी की विचारधार पर हमले के लिए भी किया.

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नई दिल्ली:

कांग्रेस अध्यक्ष के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कांग्रेस अधिवेशन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने का काम किया. उन्होंने विश्वास दिलाया कि वो कार्यकर्ताओं के दम पर बीजेपी और आरएसएस को हराने में कामयाब होंगे. अपने भाषण में राहुल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार की वजह से देश में आर्थिक मंदी आने की आशंका जताई. उन्होंने नए वक्फ कानून को धर्मिक आजादी की स्वतंत्रता पर हमला और संविधान विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि भविष्य में दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों को भी निशाना बनाया जा सकता है. अहमदाबाद से राहुल गांधी ने आरक्षण, संविधान पर हमले और जातीय जनगणना का मुद्दा उठाकर एक बार फिर दलितों,आदिवासियों और अल्पसंख्यकों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की. आइए देखते हैं कि राहुल गांधी का भाषण किन विषयों पर केंद्रित रहा और उन्होंने क्या साधने की कोशिश की. 

आरक्षण का सवाल

राहुल गांधी ने अपने भाषण में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाकर, इन वर्गों को कांग्रेस के साथ जोड़ने की कोशिश की.उन्होंने सरकारी और कॉरपोरेट नौकरियों में इन वर्गों के प्रतिनिधित्व का भी मुद्दा उठाया.इसके साथ ही उन्होंने तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार की ओर से कराए गए जातीय सर्वेक्षण के आंकड़े गिनाकर यह बताने की कोशिश की कि उनकी पार्टी जातीय जनगणना को लेकर कितना प्रतिबद्ध है.

कांग्रेस अधिवेशन आज गुजरात के अहमदाबाद में खत्म हुआ.

उन्होंने इस अवसर पर तेलंगाना सरकार की ओर से अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढाए जाने का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने वहां ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 42 फीसदी कर दिया है.इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर 50 फीसदी आरक्षण की सीमा को तोड़ दिया जाएगा.उन्होंने कहा कि तेलंगाना के मॉडल को पूरे देश में लागू किया जाएगा.

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बीजेपी और आरएसएस पर निशाना

अहमदाबाद में राहुल के भाषण मुख्य तौर पर केंद्र में सरकार चला रही बीजेपी और उसकी मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर केंद्रित रहा. उन्होंने कहा कि आरएसएस और बीजेपी सरकारी संस्थानों पर कब्जा कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस और बीजेपी इन संस्थाओं में अपने लोगों को भर रहे हैं. उनका कहना था कि यह इन संस्थानों में एससी-एसटी और ओबीसी के प्रवेश को रोकने की कोशिश है.इसके लिए राहुल ने अग्निपथ योजना का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि गरीबों, दलितों, आदिवासियों के लिए सेना में जाने के अवसर खत्म कर दिए गए हैं.यह मुद्दा उठाकर राहुल एससी-एसटी और ओबीसी की लामबंदी कांग्रेस के पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं. 

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आर्थिक तूफान की चेतवानी

राहुल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ओर से लागू की गई नई टैरिफ नीति का उल्लेख करते कहा, "डोनाल्ड ट्रंप को मोदी जी अपना मित्र कहते हैं. उन्होंने नए टैरिफ लगाने की बात की लेकिन प्रधानमंत्री ने चूं तक नहीं की.'' उन्होंने पूछा कि कहां गया 56 इंच का सीना.इन दिनों दुनिया में जारी टैरिफ बार के बहाने राहुल गांधी ने दावा किया कि देश में आर्थिक तूफान आने वाला है.उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रंप टैरिफ से ध्यान भटकाने के लिए वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संसद में देर रात तक ड्रामा किया गया.

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कांग्रेस नेताओं ने अहमदाबाद अधिवेशन में बीजेपी के सास्कृतिक राष्ट्रवाद की आलोचना की है.

कांग्रेस की लड़ाई, विचारधारा की लड़ाई

उन्होंने कांग्रेस की लड़ाई को विचारधारा की लड़ाई बताया. कहा कि यह गांधी जी की विचारधारा है, जो आरएसएस की विचारधारा से बिल्कुल अलग है. संविधान कांग्रेस की विचारधारा है. संविधान में गांधी जी, आंबेडकर जी, पटेल जी , बुद्ध भगवान की, नारायण गुरु, कबीर, गुरुनानक, वासवन्ना जी की विचारधारा शामिल है. उन्होंने कहा कि संविधान 70 साल पुराना नहीं बल्कि हमारी हजारों साल की सोच है.उन्होंने कहा कि आज संविधान पर हमला हो रहा है और कांग्रेस ही इस आक्रमण को रोक सकती है.इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि जिस पार्टी के पास विचारधारा नहीं है, वह बीजेपी-आरएसएस के सामने कभी नहीं खड़ी हो सकती है. विचारधारा वाली पार्टी ही बीजेपी और आरएसएस को हराएगी. 

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दरअसल आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. आज के बड़े पदों पर संघ की विचारधारा से निकले लोग विराजमान है. शताब्दी वर्ष में इसे आरएसएस की सफलता के रूप में देखा जा रहा है. वहीं संघ ने अपना विस्तार अब गांवों तक करने की योजना बनाई है. ऐसे में आरएसएस से कांग्रेस की लड़ाई और कठिन होने जा रही है. इस आने वाली परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए राहुल अपने कार्यकर्ताओं को कांग्रेस की समावेशी विचारधारा के बारे में बता रहे हैं. इसकी सफलता आने वाला समय ही बताएगा.

दलितों के हितैषी कांग्रेस

राहुल ने राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के साथ हुए भेदभाव के जरिए बीजेपी के हिंदुत्व पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि ये लोग खुद को हिदू कहते हैं, लेकिन एक दलित को मंदिर में जाने का अधिकार नहीं देते हैं. जब एक दलित मंदिर जाता है तो मंदिर को धुलवाते हैं.उन्होंने कहा कि यह हमारा धर्म नहीं है. हमारा धर्म हर व्यक्ति को आदर और सम्मान देता है. कांग्रेस का हर कार्यकर्ता सबकी इज्जत करता है. उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के लोगों के दिलों में ऐसा नहीं है.उनके दिल में कुछ और है.लेकिन देश में लागू संविधान को देखते हुए वो इस बात को सार्वजनिक तौर पर कह नहीं पाते हैं. 

संगठन की ताकत बढ़ाने पर जोर

इस अधिवेशन के अपने भाषण में राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस अपने जिला अध्यक्षों को और ताकतवार बनाएगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के जिला अध्यक्षों को और शक्ति और जिम्मेदारी दी जाएगी.उन्हें पार्टी की नींव बनाया जाएगा.कांग्रेस अध्यक्षों को अब जवाबदेह भी बनाया जाएगा. कांग्रेस अपना संगठन सुधारने की दिशा में बहुत समय से काम कर रही है. राहुल की यह घोषणा इसी दिशा में एक कदम होगा. इस मुद्दे पर मंगलवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी चर्चा हुई थी.कांग्रेस को उम्मीद है कि उसके इस कदम से उसे चुनावी लाभ तो होगा ही पार्टी का निचले स्तर पर विकास भी होगा.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि उम्मीदवारों के चयन में जिला अध्यक्षों की अहम भूमिका होगी.

राहुल से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी जिला अध्यक्षों को और ताकत देने की बात कही थी.उन्होंने कांग्रेस अधिवेशन में कहा कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति निष्पक्ष तरीके से होगी और चुनावों में उम्मीदवारों के चयन में उन्हीं की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. उन्होंने कहा कि जिला अध्यक्ष को अपनी नियुक्ति के एक साल के अंदर बूथ कमेटी, मंडल कमेटी, ब्लॉक कमेटी और जिला कमेटी बेहतरीन लोगों को जोड़ते हुए बनानी है और इसमें कोई पक्षपात नहीं होना चाहिए.उन्होंने निष्क्रिय पड़े पार्टी नेताओं को सख्त संदेश भी दिया था. खरगे ने कहा था कि जो लोग पार्टी के काम में हाथ नहीं बटाते उन्हें आराम करने की आवश्यकता है और जो जिम्मेदारी नहीं निभाते, उन्हें रिटायर हो जाना चाहिए.

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