लोकसभा चुनाव 2024 के पहले देश में फिर से जाति आधारित जनगणना पर राजनीति हो शुरु हो गई है. बिहार सरकार की ओर से पहले ही राज्य में जाति आधारित सर्वे कराई जा रही है. अब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी जाति आधारित जनगणना की वकालत की है. उन्होंने कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले 'ओबीसी और दलित 'कार्ड' खेल दिया है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने PM मोदी को जाति आधारित जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की चुनौती दी. साथ ही राहुल गांधी ने पीएम मोदी से आरक्षण पर 50 % की सीमा को हटाने की मांग की है. राहुल ने यह दावा किया कि केंद्र सरकार में सचिव के रूप में केवल 7 प्रतिशत अन्य पिछड़ी जातियां, दलित और आदिवासी हैं. उन्होंने ट्वीटर पर एक वीडिया भी शेयर किया है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "जितनी आबादी, उतना हक़! जातीय जनगणना हर वर्ग को सही प्रतिनिधित्व देने का आधार है, वंचितों का अधिकार है."
जाति आधारित जनगणना पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का तर्क है कि "दुनियाभर के देश और सरकारें अपनी योजनाओं, बजट आवंटन, विभिन्न विभागों, उनकी कार्यप्रणाली, कार्य क्षमता, प्रशिक्षण इत्यादि को प्रभावी बनाने और व्यवस्थात्मक सुधार के लिए हर प्रकार के आंकड़े जुटाती है. फिर हम इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते कि जाति व्यवस्था भारतीय समाज की कड़वी सच्चाई है. भारत में आज भी लोग जाति के आधार पर व्यवसाय/रोजगार करते हैं, विवाह करते हैं, ऊंच-नीच और अपने-पराए की भावना रखते हैं. अतः इसका लोगों की मानसिकता, शिक्षा, आय, सामाजिक अथवा आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है."
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