Punjab Elections 2022: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सरहदों पर एक साल तक किसान आंदोलन चला. केंद्र सरकार झुकी और किसानों की मांगें मान ली गई. एक साल से चल रहा आंदोलन खत्म हो गया, जिसके बाद दो राजनीतिक दल निकले. इनमें से संयुक्त समाज मोर्चा का नेतृत्व बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) कर रहे हैं. किसान आंदोलन के बाद 'संयुक्त समाज मोर्चा' के नाम से पॉलिटिकल पार्टी बनाकर पंजाब चुनाव में हिस्सा ले रहे बलवीर सिंह राजेवाल से NDTV की खास बातचीत की.
पार्टी बनाने के उद्देश्य के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोग चाहते थे कि एक तो हम दिल्ली वाला मोर्चा जीतें और साथ ही जो परंपरागत पॉलिटिकल पार्टियों ने गंदगी मचाई है इसको साफ करें. जब हमने दिल्ली वाला मोर्चा जीत लिया तो 32 में से 22 जत्थेबंदियों ने तय किया कि हमको पंजाब के हालात सुधारने के लिए कुछ करना चाहिए. पंजाब के सिर पर साढे तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, पॉलीटिकल करप्शन इतना है कि रेत और बजरी की माइनिंग से सरकार के पास सिर्फ़ 400 करोड़ रुपये आते हैं, जबकि 25,000 करोड़ रुपए का यह बिजनेस है. शराब का 55 हज़ार से 60 हज़ार करोड रुपए का बिजनेस है जबकि राज्य सरकार को 1700 ही आते हैं. हम राजनीति में गद्दी का सुख भोगने के लिए नहीं आ रहे, हम पंजाब को बचाने और सिस्टम में सुधार करने के लिए आ रहे हैं.
कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, किसके साथ लड़ेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि हम सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. चढूनी जी की पार्टी भी हमारा ही हिस्सा है, वे 10 सीटों पर लड़ेंगे और हमने अभी तक 57 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं.
पहले आरोप लगा करते थे कि इस आंदोलन के पीछे राजनीतिक लोग हैं, आपने अपनी पॉलिटिकल पार्टी बनाकर कहीं उन आरोपों को बल तो नहीं दे दिया है? बलबीर सिंह ने इस पर कहा कि मैं किसान आंदोलन के संस्थापकों में से एक हूं. मैंने किसान आंदोलन 1971 में शुरू किया था. तबसे लेकर अब तक मैंने केवल किसान आंदोलन का काम किया.
क्या आपको लगता है कि अब तक मुझे कोई मौका नहीं मिला? इस सवाल पर वह बोले कि अगर मैं चाहता तो कोई मुझे टिकट नहीं देता? लोगों के दबाव के चलते मुझे यह करना पड़ रहा है. मैं तो रिटायर होना चाहता हूं, मेरी राजनीति में आने की कोई मंशा नहीं थी. हमने कोई सर्वे नहीं करवाया था, ये सब ऐसे ही होता है. लोगों की इच्छा थी. रुझान यह है कि लोग परंपरागत पॉलिटिकल पार्टियों से परेशान हैं. लोग इस विकल्प को ही चुनेंगे, हमको इसमें कोई शक नहीं.
किसान जत्थेबंदी जब आंदोलन करते हैं तो सरकार के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है, लेकिन अब जब आपने पॉलिटिकल पार्टी बना ली है तो सरकार आप को यह कहकर खारिज नहीं कर देगी क्या कि यह तो पॉलिटिकल लोग हैं, हम इनसे बात नहीं करते?
इस पर उन्होंने कहा कि आज भी हमारी जत्थेबंदियों में लेफ्ट की जत्थेबंदी शामिल हैं. उग्रहां नहीं हैं, लेकिन उनके आका तो हैं. यह तो लेफ्ट और अल्ट्रा लेफ्ट संगठन है. इनको कहीं और से हिदायतें आती हैं. वह जब जरूरत होती है. उनको अभी हिदायत नहीं है. किसी वक्त पर लड़ेंगे वह भी. आज नहीं तो कल लेकिन लड़ेंगे जरूर.
मैं अभी गांव में घूमा तो बहुत से लोग जिनमें से किसान ही थे वो यह कहते हुए मिले कि अच्छा होगा कि किसानों और आम आदमी पार्टी का गठबंधन हो जाए और दोनों मिलकर चुनाव लड़ लें क्योंकि वह यह कह रहे थे कि इससे आम आदमी पार्टी को नुकसान होगा? नुकसान तो पता नहीं किसको होगा लेकिन पंजाब का फायदा होगा. मुझे आम आदमी पार्टी या कुर्सी की बात नहीं, मुझे पंजाब बचाने वाले लोग चाहिए और उसके लिए आप देखेंगे कि आने वाले दिनों में कैसे एक लहर दिखेगी. लोग हमारे साथ हैं, लोग आंदोलन के साथ हैं. आंदोलनकारियों के साथ हैं. आंदोलन में जो लोग गए उनके साथ हैं. यह गलतफहमी आने वाले 5 से 7 दिनों में निकल जाएगी. आम आदमी पार्टी में कैसे लोग हैं यह सबको पता है. मुख्यमंत्री चेहरा अनाउंस किया है. कौन नहीं जानता वह शराब के बगैर नहीं रह सकते.
हालांकि पंजाब के लोगों से जब मैंने बात की तो उनका कहना है कि पंजाब में तो बहुत से लोग पीते हैं, यह कोई मुद्दा नहीं है? इस सवाल पर वह बोले कि यह मुद्दा है, जिसने पंजाब चलाना है, उसको सोचना चाहिए. इतनी शराब पीता है कि उसको सुध-बुध ही नहीं होती कि कहां खड़ा हूं, कहां जाना है. तो क्या उसकी हाथ में बागडोर दे दी नहीं चाहिए सारे पंजाब की?
अभी आपका क्या एसेसमेंट है, आप सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. कितनी सीटें आपको आज की स्थिति में लग रहा है कि आप जीत सकते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि मुझे लग रहा है कि सरकार संयुक्त समाज मोर्चा की बनेगी. सीटें कितनी आती है यह समय बताएगा.
और आप मुख्यमंत्री बनेंगे? जैसे मेरे लोग कहेंगे करूंगा? जो जिम्मेदारी मुझे मिलेगी वह निभाऊंगा.