क्या है कलपक्कम में बन रहा प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर? जिससे भारत बनेगा न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में आत्मनिर्भर?

प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर को मंजूरी मिलने के बाद अब परमाणु ईंधन के रूप में प्लूटोनियम के उपयोग और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि थोरियम के परमाणु ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग की शुरुआत हो जाएगी.

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नई दिल्ली:

भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम ने एक बड़ी बाधा पार कर ली है, देश के सबसे एडवांस और सबसे जटिल परमाणु रिएक्टर को ईंधन लोड करने की मंजूरी मिल गयी है. तमिलनाडु के कलपक्कम में स्थित प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR) को आखिरकार भारत के परमाणु नियामक से परमाणु ईंधन लोड करना शुरू करने की मंजूरी दे दी है. परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड के अध्यक्ष दिनेश कुमार शुक्ला (Dinesh Kumar Shukla) ने बताया है कि "यह भारत के आत्मनिर्भर परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए एक बड़ा मील का पत्थर है. उन्होंने कहा कि PFBR एक स्वाभाविक रूप से सुरक्षित रिएक्टर है." 

प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर को मंजूरी मिलने के बाद अब परमाणु ईंधन के रूप में प्लूटोनियम के उपयोग और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि थोरियम को परमाणु ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग की शुरुआत हो जाएगी. गौरतलब है कि भारत के पास यूरेनियम का सीमित भंडार है और सभी प्लूटोनियम वैसे भी परमाणु संयंत्रों में उत्पन्न होते हैं क्योंकि प्राकृतिक प्लूटोनियम मौजूद नहीं है. 

बताते चलें कि भारत के पास थोरियम का विशाल भंडार है और इसलिए देश में थोरियम को ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए तकनिक को विकसित कर रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारत ईंधन के रूप में थोरियम का उपयोग करने की शुरुआत कर लेगा तो देश को ऊर्जा के क्षेत्र में स्वतंत्रता मिल जाएगी. भारत अगले 300 साल तक उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन जाएगा. 

कैसे होता है FBTR?
फास्ट ब्रीडर रिएक्टर बहुत ही अनोखा होता है. ये रिएक्टर जितना ईंधन खर्च करते हैं उससे अधिक पैदा करते हैं.इन रिएक्टरों में 'फास्ट' शब्द उच्च-ऊर्जा तेज़ न्यूट्रॉन के उपयोग के कारण आया है. भारत के पास कलपक्कम में एक फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (FBTR) पहले से ही कार्य कर रहा है.  

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परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड या एईआरबी ने कहा, "यह अनुमति पीएफबीआर के संचालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. कलपक्कम में BHAVINI द्वारा चालू किया जा रहा 500MWe सोडियम-कूल्ड प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) देश के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है."

इसमें कहा गया है, "एईआरबी बहु-स्तरीय सुरक्षा समीक्षा तंत्र के माध्यम से व्यापक सुरक्षा समीक्षा और मूल्यांकन कर रहा है. सुरक्षा समीक्षा को स्थानीय साइट पर्यवेक्षक टीम द्वारा समय-समय पर निरीक्षण और अवलोकन के साथ पूरक किया जाता है. सब कुछ ठीक रहा तो कुछ ही महीनों में यह चालू हो सकता है. 

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भारत ने 2003 में BHAVINI की शुरुआत करता है
2003 में, सरकार ने भारत के सबसे उन्नत परमाणु रिएक्टर-प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) के निर्माण और संचालन के लिए भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (BHAVINI) के निर्माण को मंजूरी दी थी.  जो 500 मेगावाट का लिक्विड सोडियम कूल्ड रिएक्टर है. BHAVINI के अनुसार इसे "एक ही बार में ईंधन लोडिंग, पहली गंभीरता और कम बिजली भौतिकी प्रयोगों के लिए मंजूरी मिल गई".

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 पीएफबीआर पिछले 20 वर्षों से बन रहा है और अपनी तरह का पहला रिएक्टर होने के कारण इसके निर्माण में देरी हुई है. चूंकि कोई भी देश ऐसी जटिल तकनीक साझा नहीं करता है, इसलिए इसे स्वदेशी रूप से ही विकसित किया जा रहा है.  BHAVINI ने अनुमान लगाया कि इसकी लागत ₹ 6,840 करोड़ है और वर्षों में इसकी लागत ₹ 5,677 करोड़ की पहले स्वीकृत लागत से बढ़ गई है. 

आत्मनिर्भर भारत के तहत पीएफबीआर को एमएसएमई सहित 200 से अधिक भारतीय उद्योगों के महत्वपूर्ण योगदान के साथ  BHAVINI द्वारा पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है. एक बार चालू होने के बाद, भारत रूस के बाद वाणिज्यिक रूप से फास्ट ब्रीडर रिएक्टर संचालित करने वाला दूसरा देश होगा. 

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फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (FBR) शुरू में यूरेनियम-प्लूटोनियम मिश्रित ऑक्साइड (MOX) ईंधन का उपयोग करेगा. ईंधन कोर के आसपास का यूरेनियम-238  अधिक ईंधन का उत्पादन करने के लिए न्यूक्लियर ट्रांसमिशन से गुजरेगा. परमाणु उर्जा के ट्रांसमिशन के लिए एफबीआर बेहद महत्वपूर्ण है. 

परमाणु कचरे में आएगी कमी
4 मार्च, 2024 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं पीएफबीआर का निरीक्षण किया था और 'कोर लोडिंग' देखी थी. जिसके बाद से गतिविधियां तेज हो गई हैं. परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) का कहना है कि सुरक्षा की दृष्टि से, पीएफबीआर एक उन्नत तीसरी पीढ़ी का रिएक्टर है जिसमें सुरक्षा से जुड़ी कई विशेषताएं हैं. चूंकि यह पहले चरण से खर्च किए गए ईंधन का उपयोग करता है इसलिए इससे परमाणु कचरे में भी कमी आएगी. 

डीएई के अनुसार, विशेष रूप से, उन्नत तकनीक शामिल होने के बावजूद, पूंजीगत लागत और प्रति यूनिट बिजली लागत दोनों अन्य परमाणु और पारंपरिक बिजली संयंत्रों के बराबर है. ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के दोहरे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का विकास अनिवार्य है. उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति के रूप में, भारत परमाणु और रेडियोलॉजिकल सामग्री की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए, बिजली और गैर-ऊर्जा दोनों क्षेत्रों में परमाणु प्रौद्योगिकी के शांतिपूर्ण अनुप्रयोगों का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है. एक बार जब डीएई को विश्वास मिल जाएगा, तो कलपक्कम में दो और फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों का निर्माण किया जाएगा. 

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