"मैंने 65 साल की उम्र में 14-14 घंटे काम किया", पद्म भूषण के लिए चुने जाने पर प्रोफेसर कपिल कपूर

कपिल कपूर ने इनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदुइज्म के एक से लेकर 11 संस्करणों का संपादन किया है. उन्होंने कहा कि मैनें रिटायर होने के बाद 2005 से इनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदुइज्म एडिट करना शुरू किया और 2012 में इसे पूरा किया.

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कपिल कपूर ने इनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदुइज्म के एक से लेकर 11 संस्करणों का संपादन किया है

नई दिल्ली:

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार के द्वारा पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई. सरकार ने इस साल 9 लोगों को पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की है. शिक्षा और साहित्य क्षेत्र में योगदान के लिए जेएनयू के पूर्व प्रो वाइस चांसलर कपिल कपूर को पद्म भूषण दिया गया है. एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब मुझे इसके बारे में पता चला तो मेरे मन में आया कि मैं एक टीचर हूं, मैं पिछले 63 साल से पढ़ा रहा हूं. मुझे यह गुरु दक्षिणा अपने हजारों छात्रों की तरफ से मिली है. 

कपिल कपूर ने इनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदुइज्म के एक से लेकर 11 संस्करणों का संपादन किया है. उन्होंने कहा कि मैनें रिटायर होने के बाद 2005 से इनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिंदुइज्म एडिट करना शुरू किया और 2012 में इसे पूरा किया. उन्होंने कहा कि मैंने 65 साल की उम्र में  भी 14-14 घंटे काम किया.  बैठ कर काम करने की वजह से मेरी तबियत भी ख़राब हो गयी. मैंने इस काम के लिए एक रुपया भी नहीं लिया. लेकिन आज जो लोग Hinduism को समझना चाहते हैं उसके लिए ग्रंथ हमने तैयार कर दिया है.

उन्होंने कहा कि मैंने इस काम के लिए पहले ही शर्त रख दी थी कि मैं इस कार्य के लिए कोई पैसा नहीं लूंगा. मेरी ऐसी मान्यता है कि जो अच्छे कार्य होते हैं वो पैसे से नहीं होते हैं. अगर पैसा उसमें आ जाता है तो वो काम नहीं होते हैं. 

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