कोरोना महामारी के दौरान मरीजों में ह्रदय की परेशानियां बढ़ी हैं. संक्रमण की चपेट में आने के बाद लोग स्वस्थ हुए तो दिल की धमनियां ब्लॉक होने लगीं. कोरोना वायरस लम्बे समय तक खून को गाढ़ा करता है. रिकवर होने के बाद भी ये समस्या दिख रही है. मुंबई में विशेषज्ञों के पास ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि कई मामले पहुंच रहे हैं, जहां लोग अचानक हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. डॉक्टर बताते हैं कि सालों के एक्सपीरियंस में अचानक इतने मामले पहली बार देख रहे हैं. दिसंबर की तुलना में मामलों में 30 प्रतिशत बढ़ोतरी देखी जा रही है.
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53 साल के कुणाल को कभी हृदय सम्बन्धी बीमारी नहीं थी, पर अचानक हार्ट अटैक का शिकार हुए और मुंबई के लायंस क्लब अस्पताल में भर्ती हैं वह कोविड निगेटिव हैं. उन्होंने बताया कि क़रीब 6 दिन पहले की बात है, मैंने रात में करीब दस बजे खाना खाया, उसके बाद सोने ही जा रहा था कि पसीना आया बहुत ज़्यादा. मेरी पत्नी ने मुझे सहलाया लेकिन सीने में बहुत दर्द होने लगा. डॉक्टर ने बोला भर्ती होना पड़ेगा. पहले राजावाड़ी अस्पताल में भर्ती हुए, फिर चार दिन के बाद यहां लायंस क्लब अस्पताल में भर्ती हुए. सर्जरी हो गई है और अब ठीक महसूस हो रहा है.
ऐसे मरीज़ों का इलाज कर रहे डॉक्टर इसमें कोविड कनेक्शन देख रहे हैं. क्यूंकि कोरोना खून को गाढ़ा करता है और शरीर में खून के थक्के बनाता है. इसके चलते कहीं दिल की धमनियां ब्लॉक हो रही हैं तो कहीं लोग अचानक हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. पोस्ट कोविड यानी कोविड से ठीक हुए मरीजों में भी अचानक हार्ट अटैक की समस्या दिख रही है.
कार्डीआलॉजिस्ट डॉ रवि गुप्ता ने बताया कि बहुत यंग लोग हमारे पास हार्ट अटैक लेकर आ रहे हैं, जिनको पहले कोविड की समस्या रही. लेकिन कई लोग कोविड से पहले रिकवर हो चुके हैं, उनमें भी ये समस्या है. तो समझना होगा कि कोविड सिर्फ़ फेफड़ों की बीमारी नहीं है, ये हमारी दिल की धमनियों में इन्फ़्लमेशन करती है. तो इस इन्फ़्लमेशन में क्लॉट बनता है और कई बार जिन लोगों को पहले कोई हार्ट की बीमारी नहीं थी, उनके हार्ट में अचानक कोई क्लॉट बनता है, किसी आर्टरी को क़रीब 100 प्रतिशत ब्लॉक कर देता है और ऐसे में युवा लोग अचानक हार्ट अटैक लेकर हमारे पास आते हैं.
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हार्ट सर्जन डॉ अरविंद सिंह गहलोत का कहना है कि नसों में क्लॉटिंग के बहुत मामले आ रहे हैं. काफ़ी ऐसे मरीज़ हम देख रहे हैं, ऑपरेशन करने के बाद उनमें फिर से क्लॉटिंग यानी री-क्लॉटिंग भी हो रही है. ऐसे मामले भी आ रहे हैं जो हमने पहले कभी नहीं देखते थे. बायपास सर्जरी से पहले फ़िटनेस टेस्ट होता है, लेकिन कई लोगों की फ़िटनेस टेस्ट से पहले ही मौत हो जा रही है. कई मामले में मरीज आते समय निगेटिव होता है लेकिन टेस्ट के बाद पॉजिटिव पाया जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना महामारी के बीच अनियंत्रित जीवनशैली, रूटीन चेकअप पर ब्रेक, तनाव जैसी समस्याएं आग में घी डाल रही हैं.
फ़ोर्टिस हीरानंदानी हॉस्पिटल के इंटर्वेन्शनल कार्डीआलॉजी प्रमुख डॉ ब्रजेश कंवर कहते हैं कि पिछले दो साल से हेल्थ चेकअप सिस्टम बंद पड़ा है. लोग अपना हेल्थ चेकअप नहीं करवा रहे हैं. जिसके कारण अंदर छिपी हुई दिक़्क़तों का पता नहीं लग पा रहा है. लोग अपना कलेस्टरॉल चेक नहीं करवा रहे हैं. इसकी वजह से बहुत सारे मरीज़ मिस हो रहे हैं.
हार्ट के मरीज़ पहले से ही ब्लड थिनर यानी खून पतला करने वाली दवा का सेवन कर रहे होते हैं इसलिए ज़्यादा समस्या अचानक से हार्ट अटैक से गुज़र रहे लोगों को लेकर है, जिनके अंदर बिना जानकारी खून का गाढ़ा होने जैसे कई बदलाव हो रहे हैं. एक्स्पर्ट्स बताते हैं कि अगर आप चलने में ज़्यादा थकान महसूस कर रहे हैं, सांस फूल रही है तो बेहद ज़रूरी है कि आप ECG और treadmill test यानी TMT तुरंत कराएं.
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