प.बंगाल में SIR की घोषणा से दो दिन पहले प्रशांत किशोर ने दिया था वोटर कार्ड डिलीट का आवेदन, जानें पूरा मामला

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल से अपना वोटर नामांकन हटाने के लिए 25 अक्टूबर 2025 को आवेदन किया था. दिलचस्प बात ये है कि यह आवेदन पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए विशेष संशोधित मतदाता सूची (Special Integrated Revision – SIR) की घोषणा से सिर्फ दो दिन पहले यानी 27 अक्टूबर को किया गया था.

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प्रशांत किशोर के दो राज्यों में वोटर आईडी कार्ड के मामले में सामने आया है कि उन्होंने अपने बंगाल में बने वोटर कार्ड को हटाने के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR की घोषणा से दो दिन पहले जमा किया था. ये जानकारी चुनाव आयोग के सूत्रों से मिली है. बता दें कि किशोर के नाम पर दो अलग-अलग वोटर आईडी कार्ड पाए गए हैं, एक पश्चिम बंगाल में और दूसरा बिहार में. यह मामला अब गंभीर रूप ले चुका है, क्योंकि चुनाव आयोग ने प्रशांत किशोर को नोटिस जारी करते हुए तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल से अपना वोटर नामांकन हटाने के लिए 25 अक्टूबर 2025 को आवेदन किया था. दिलचस्प बात ये है कि यह आवेदन पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए विशेष संशोधित मतदाता सूची (Special Integrated Revision – SIR) की घोषणा से सिर्फ दो दिन पहले यानी 27 अक्टूबर को किया गया था. अब जब SIR प्रक्रिया राज्य में शुरू हो चुकी है, ऐसे में मतदाता सूची को वहां पर फ्रीज़ कर दिया गया है. अब आयोग आने वाले दिनों में उनके आवेदन पर फ़ैसला लेगा. इस बीच रोहतास ज़िला अधिकारी ने किशोर से दूसरे वोटर कार्ड को लेकर जवाब मांगा है क्योंकि हाल ही में बिहार में SIR की प्रक्रिया पूरी हुई है.

SIR का एक मकसद ये भी है कि डुप्लीकेट वोटर की पहचान की जा सके और एक व्यक्ति का नाम सिर्फ एक ही जगह की मतदाता सूची में नाम हो. चुनाव आयोग के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत पाया जाता है़ तो यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 17 के तहत एक कानूनी अपराध है. इस धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई व्यक्ति एक से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में वोटर नहीं हो सकता. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए SIR की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में एनडीटीवी के सवाल पर कहा था कि “अगर किसी व्यक्ति के पास दो वोटर आईडी कार्ड हैं, तो यह कानून का उल्लंघन है. मतदाताओं से अपील है कि वे दो स्थानों पर नामांकन फॉर्म न भरें. यह न केवल गलत है बल्कि दंडनीय भी हो सकता है.” वहीं प्रशांत किशोर का कहना है की उन्होंने बंगाल में नाम काटने के लिए पहले ही आवेदन दिया था लेकिन आयोग ने नाम नहीं काटा.

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