चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने घोषणा कर दी है कि वह बिहार के लोगों के साथ काम करेंगे. इसी के साथ कांग्रेस में जाने की उनकी अटकलें भी खत्म हो गई थीं. खैर, हाल ही में कांग्रेस ने राजस्थान में एक चिंतन शिविर का आयोजन किया था, जिसमें पार्टी ने आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया था. इसी को लेकर अब प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा कि मुझे बार-बार उदयपुर चिंतन शिविर के बारे में पूछा गया. तो मेरे विचार से ये शिविर यथास्थिति को लंबा खींचने और कांग्रेस नेतृत्व को कुछ समय देने के अलावा कुछ भी सार्थक हासिक करने में विफल रहा, कम से कम हाल ही में होने वाले गुजरात और हिमाचल चुनाव में मिलने वाली हार तक!
बता दें कि प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के साथ बातचीत खत्म या पॉज के सवाल पर एनडीटीवी से कहा कि ये तो कांग्रेस का बड़प्पन है कि मेरे जैसे साधारण आदमी को बुलाया. आगे के रास्ते क्या हो सकते हैं, इस पर मैंने विचार रखे थे. अब ये उन पर है कि उन रास्तों पर चलना चाहें या नहीं. इसे लेकर पूरी समझ या एकता है या नहीं. वैसे कांग्रेस में कई ऐसे लोग हैं, जिनकी काबिलियत मुझसे ज्यादा है. दरवाजा बंद करने या खोलने की बात नहीं है. उन्होंने मुझे ऑफर किया, मैं शुक्रगुजार हूं. कुछेक ने कहा कि मैं अकेले जिम्मेदारी लेना चाहता हूं. तो ऐसा भी नहीं था, मैं सोचता हूं कि ग्रुप हो, कई लोग मिलकर काम करें, क्योंकि काम बड़ा है.
दरअसल, बात जहां अटकी वह बताता हूं. कांग्रेस बहुत बड़ी पार्टी है. कांग्रेस के संविधान के हिसाब से काम होता है. उनकी एक पूरी व्यवस्था है, जिसके हिसाब से काम होता है. अब अलग से एक ग्रुप बना दिया जाए और उससे हर तरह के काम करवाएं तो इससे आज नहीं तो कल विरोधाभास पैदा होगा. आपकी खींचतान होगी. मैं उनका कुछ फायदा नहीं कर पाऊंगा बल्कि मेरी वजह से उनका नुकसान हो जाएगा.
राहुल गांधी के साथ विश्वास की कमी का मुद्दा था क्या? इस पर प्रशांत किशोर ने कहा था कि राहुल गांधी बड़े आदमी हैं. मैं एक साधारण आदमी हूं तो उनके साथ ट्रस्ट डेफेसिट जैसी कोई बात हो ही नहीं सकती. ट्रस्ट डेफेसिट बराबर के लोगों के साथ हो सकता है. मेरी उनके साथ कोई बराबरी नहीं है.