संसद की सुरक्षा में चूक मामले में आरोपियों की पॉलीग्राफ, नार्को जांच की गई

अधिकारी ने कहा, ‘‘सभी पांचों व्यक्तियों की पॉलीग्राफ जांच गांधीनगर में फोरेंसिक प्रयोगशाला में की गई.’’ उन्होंने कहा कि सागर और मनोरंजन की अतिरिक्त रूप से नार्को जांच और ‘ब्रेन मैपिंग टेस्ट’ हुआ. जांचकर्ताओं ने उनके उक्त कृत्य के वास्तविक कारण का पता लगाने की कोशिश की.

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नई दिल्ली: संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में गिरफ्तार आरोपियों की ‘पॉलीग्राफ' और ‘नार्को' जांच शुक्रवार को पूरी हो गई. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. मामले के छह में से पांच आरोपियों--सागर शर्मा, मनोरंजन डी, अमोल शिंदे, ललित झा और महेश कुमावत-- को आठ दिसंबर को पॉलीग्राफ जांच के लिए अहमदाबाद ले जाया गया था.

अधिकारी ने कहा, ‘‘सभी पांचों व्यक्तियों की पॉलीग्राफ जांच गांधीनगर में फोरेंसिक प्रयोगशाला में की गई.'' उन्होंने कहा कि सागर और मनोरंजन की अतिरिक्त रूप से नार्को जांच और ‘ब्रेन मैपिंग टेस्ट' हुआ. जांचकर्ताओं ने उनके उक्त कृत्य के वास्तविक कारण का पता लगाने की कोशिश की.

इससे पहले, दिल्ली पुलिस ने अदालत का रुख कर सभी आरोपियों की पॉलीग्राफ जांच कराने देने की अनुमति देने का अनुरोध किया था. मामले में छठी आरोपी नीलम आजाद ने इस जांच के लिए अदालत में अपनी सहमति नहीं दी थी. अधिकारियों ने कहा कि चूंकि जांच पूरी हो गई है, इसलिए आरोपियों को वापस दिल्ली लाया जा सकता है क्योंकि उनकी आठ दिन की पुलिस हिरासत शनिवार को समाप्त हो रही है.

संसद पर 2001 में हुए आतंकी हमले की बरसी के दिन गत 13 दिसंबर को सागर शर्मा और मनोरंजन डी लोकसभा में शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए थे. साथ ही, उन दोनों ने नारे लगाते हुए एक ‘केन' से पीली गैस फैलाई थी. कुछ सांसदों ने इन दोनों को पकड़ा था. लगभग इसी समय अमोल शिंदे और नीलम आजाद ने संसद भवन परिसर के बाहर ‘तानाशाही नहीं चलेगी' के नारे लगाते हुए ‘केन' से रंगीन गैस फैलाई थी.

नार्को जांच के तहत नस में एक दवा डाली जाती है जो व्यक्ति को अचेतावस्था में ले जाती है. इस दौरान व्यक्ति ऐसी अवस्था में पहुंच जाता है जिसमें उसके जानकारी प्रकट करने की अधिक संभावना होती है, जो आमतौर पर चेतन अवस्था में प्रकट नहीं की जा सकती है. ‘ब्रेन मैपिंग', जिसे न्यूरो मैपिंग तकनीक भी कहा जाता है, अपराध से संबंधित तस्वीरों या शब्दों के प्रति मस्तिष्क की प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करती है.

पॉलीग्राफ जांच में, सांस लेने की दर, रक्तचाप, पसीना आने और हृदय गति का विश्लेषण कर यह पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि व्यक्ति इस दौरान पूछे गये प्रश्नों का जवाब देने में क्या झूठ बोल रहा है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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