राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का संसद के निचले सदन में बुधवार को विपक्ष के हमलों के बीच जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में 'संकल्प से सिद्धि तक' का खाका खींचा.
आइए, पढ़ते हैं PM नरेंद्र मोदी के उत्तर की प्रमुख बातें...
- "कल, मैंने देखा कि कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा ईको-सिस्टम उछल रहा था... कुछ लोग बेहद खुश थे, और कह रहे थे, "यह हुई न बात..." उनके भीतर जो नफरत है, वह पूरी तरह बाहर आ गई, सबके सामने आ गई..."
- "विपक्ष के नेताओं पर यह सटीक बैठता है, "यह कह-कहकर हम दिल को बहला रहे हैं... वो अब चल चुके हैं, वो अब आ रहे हैं...""
- "इस बार, शुक्रिया के साथ-साथ मैं राष्ट्रपति को बधाई भी देना चाहता हूं... गणतंत्र के प्रमुख के रूप में उनकी मौजूदगी सिर्फ ऐतिहासिक नहीं, बल्कि देश की करोड़ो बेटियो के लिए महान प्रेरणा भी है..."
- "यहां सभी ने अपने-अपने तर्क दिए... उन्होंने अपने-अपने हितों और स्वभाव के अनुसार बातें कहीं... उन्हें समझने की कोशिश में यह भी समझ आता है कि वे कितने योग्य हैं, किसमें क्या काबिलियत है, और किसके क्या इरादे हैं... समूचा देश उनका मूल्यांकन कर रहा है..."
- "कतई अस्थिर वैश्विक माहौल में जिस तरह देश आगे बढ़ा है, उससे देश पूरी तरह आश्वस्त है, 140 करोड़ भारतवासियों का जोश किसी भी चुनौती से ज़्यादा बड़ा है... हां, कुछ लोग इस बात से नाराज़ हैं... उन्हें आत्मालोचन करना चाहिए..."
- "सुधार मजबूरी में नहीं, मज़बूत इरादे की वजह से हो रहे हैं... राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कहा था कि भारत, जो अपनी अधिकतर समस्याओं के समाधान के लिए दूसरों पर निर्भर करता था, अब दुनियाभर की समस्याओं के समाधान का माध्यम बन रहा है..."
- विपक्षी बेंचों की तरफ तंज़ कसते हुए प्रधानमंत्री ने कवि काका हाथरसी का ज़िक्र करते हुए उनकी कविता पढ़ी, "आगा-पीछा देखकर क्यों होते गमगीन... जैसी जिसकी भावना, वैसा दीखे सीन""
- "'मौकों को मुसीबत में पलटना' UPA की खासियत थी... UPA के 10 साल के शासनकाल में जनता असुरक्षित थी... 2014 से पहले का दशक 'खोया हुआ दशक' रहा... 2004 से 2014 तक घोटालों का दशक रहा... UPA के 10 साल में घाटी में हिंसा ही हिंसा फैलती रही..."
- "मौजूदा दशक भारत का दशक है... सारी दुनिया को भारत को लेकर भरोसा है..."
- "विपक्ष के नेताओं को कोई एकजुट नहीं कर पाया, लेकिन इन्हें ED को धन्यवाद देना चाहिए, क्योंकि उसकी वजह से विपक्ष एक मंच पर आ गया..."
- "हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में कांग्रेस के पतन को लेकर एक स्टडी हो चुकी है... मुझे भरोसा है कि भविष्य में कांग्रेस की बर्बादी पर सिर्फ हार्वर्ड नहीं, बल्कि बड़े-बड़े अन्य विश्वविद्यालयों में भी स्टडी होगी, और कांग्रेस को डुबोने वाले लोगों पर स्टडी की जाएगी..."
- विपक्ष पर एक और तंज़ कसते हुए प्रधानमंत्री ने दुष्यंत कुमार की कविता की पंक्तियां भी पढ़ीं, "तुम्हारे पांव के नीचे कोई ज़मीन नहीं... कमाल यह है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं..."
- "विपक्ष 2014 के बाद से हर मौके पर सत्ता को कोसता रहा है... कहता रहा है कि भारत कमज़ोर हो रहा है... कुछ लोगों को लगता है कि मोदी को गाली देकर ही उनका रास्ता निकलेगा... इन्हें समझ नहीं आ रहा कि 2014 के बाद से भारत कमज़ोर हुआ है या मज़बूत हुआ है... मोदी पर भरोसा अख़बारों की सुर्खियों से नहीं हुआ है, मोदी पर भरोसा टीवी पर दिखते चमकते चेहरों से नहीं हुआ है... मैंने जीवन खपा दिया है, पल-पल लगा दिया है... देश के लिए जीवन लगा दिया है, तभी भरोसा आया है. देशवासियों का जो मोदी पर भरोसा है, वह इनकी समझ से बाहर है..."
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