प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पहली बार किसी पॉडकास्ट में हिस्सा लिया है. उन्होंने जेरोधा (Zerodha) के को-फाउंडर निखिल कामत के साथ पॉडकास्ट किया. कामथ ने 9 जनवरी को यू-ट्यूब पर इसका ट्रेलर जारी किया है. शुक्रवार को इसी प्लेटफॉर्म पर पॉडकास्ट का पूरा वीडियो रिलीज किया गया. अपने पॉडकास्ट डेब्यू में PM मोदी ने दुनिया में फैली अंशाति, रूस-यूक्रेन और फिलिस्तीन-इजराइल के बीच चल रही जंग, डिजिटल इंडिया, वन इंडिया मिशन पर अपनी राय दी. साथ ही उन्होंने अपने बचपन, राजनीतिक जीवन, विचारधारा और आदर्शवाद के महत्व और राजनीति में युवाओं की भागीदारी पर भी बात की है. मोदी ने कहा कि राजनीति में युवाओं के आने के लिए एंबिशन नहीं, बल्कि मिशन होना चाहिए. PM मोदी ने स्वीकार किया कि उनसे भी कई मामलों में गलती हो जाती है. मोदी कहते हैं, "मैं भी इंसान हूं, कोई देवता नहीं. इसलिए मुझसे भी गलतियां होती हैं."
Zerodha स्टॉक्स में पैसे लगाने वालों के लिए ट्रेडिंग और ब्रोकरेज का काम करता है. इसमें पॉडकास्ट इंटरव्यू की शुरुआत में निखिल कामथ कहते हैं- "मैं यहां आपके सामने बैठा हूं और बात कर रहा हूं. मुझे घबराहट हो रही है. यह मेरे लिए एक मुश्किल बातचीत है...." इसके बाद PM मोदी बोलते हैं. उन्होंने कहा, "यह मेरा पहला पॉडकास्ट है. मुझे नहीं पता कि यह आपके दर्शकों को कैसा लगेगा." मोदी कहते हैं, "मुझे उम्मीद है कि आप सभी इसका उतना ही आनंद लेंगे, जितना हमें आपके लिए इसे बनाने में आया."
CM बनते ही पूरी करना चाहते थे ये विश?
पॉडकास्ट में PM मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में दिए गए अपने भाषण को याद किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह बुरे इरादों के साथ कभी कुछ भी नहीं करेंगे. मोदी ने कहा, "मैंने बचपन में बहुत कम समय में घर छोड़ दिया. सबकुछ छोड़ दिया था. उसके बाद मेरा किसी से कोई संपर्क नहीं था, किसी से कोई लेनादेना नहीं था. जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो एक इच्छा जागी."
गलत इरादे से कुछ भी न करना... यही मेरी जिंदगी का मंत्र
PM मोदी ने कहा, "CM बनते ही मैंने एक भाषण दिया, जिसमें मैंने कहा कि मैं कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हटूंगा. मैं अपने लिए कुछ नहीं करूंगा. मैं इंसान हूं, जो गलतियां कर सकता हूं, लेकिन काम करता रहूंगा. कभी भी कुछ भी बुरे इरादे से नहीं करूंगा... यह मेरे जीवन का मंत्र है."
गोधरा दंगे पर खुलकर की बात
अपने पहले पॉडकास्ट इंटरव्यू में PM मोदी गुजरात में फरवरी 2002 में हुए गोधरा दंगे पर खुलकर बात की है. उन्होंने कहा, " मुझे विधायक बने 3 दिन भी नहीं हुए थे. इस बीच गोधरा में दंगे हो गए. दंगे की खबर मिलते ही मैंने गोधरा जाने का फैसला किया. मैंने अपनी आंखों से गोधरा की सच्चाई देखी. गोधरा की तस्वीरें बेहद दर्दनाक थी. मुझे बताया गया कि ट्रेन में आग लगी है."
मोदी ने कहा, "मेरे अंदर जिम्मेदारी का भाव था. मैं 24 फरवरी 2002 को पहली बार विधायक बना. 27 फरवरी को पहली बार विधानसभा गया. विधायक बने तीन दिन भी नहीं हुए थे कि अचानक गोधरा कांड हो गए. उस समय मैं विधानसभा में था. निकलते ही हमने कहा कि मैं गोधरा जाना चाहता हूं. मैं कहा कि पहले हम बड़ोदरा जाएंगे और वहां से हेलिकॉप्टर लेंगे. मुझे बताया गया कि हेलिकॉप्टर नहीं है. फिर एक सिंगल इंजन वाला हेलिकॉप्टर मिला. मुझे कहा गया कि जो हेलिकॉप्टर है, उससे VIP को नहीं ले जाया जा सकता. मैंने उन लोगों से झगड़ा किया कि मैं कोई VIP नहीं हूं. मैं सामान्य आदमी हूं. मैं लिखकर देता हूं कि अगर कुछ होता है, तो मेरी जिम्मेदारी होगी."
पहले और दूसरे टर्म में फर्क?
निखिल कामथ प्रधानमंत्री के रूप में पहले और दूसरे टर्म में फर्क को लेकर PM से सवाल करते हैं. इसके जवाब में PM ने कहा- "पहली टर्म में तो लोग मुझे भी समझने की कोशिश करते थे. मैं भी दिल्ली को समझने की कोशिश कर रहा था. अब लोग भी मुझे समझ गए हैं और मैं भी उन्हें समझ गया हूं."
भारत शांतिपूर्ण बातचीत का पक्षधर
दुनिया में बढ़ते युद्धों के बारे में PM मोदी ने चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा, "हमने लगातार कहा है कि हम (भारत) न्यूट्रल नहीं हैं. मैं शांति के पक्ष में हूं. भारत हमेशा शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाने का पक्षधर रहा है."
शेयर किया जिनपिंग के साथ हुई दिलचस्प बातचीत का किस्सा
प्रधानमंत्री ने 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ हुई एक दिलचस्प बातचीत का जिक्र किया. जब मोदी प्रधानमंत्री बने, तो शी जिनपिंग ने भारत आने की इच्छा जताई. उन्होंने कहा, "मैं गुजरात और आपके गांव वडनगर आना चाहता हूं." इसके पीछे कारण बताते हुए शी जिनपिंग ने कहा कि चीनी दार्शनिक ह्वेनसांग ने वडनगर में सबसे लंबे समय तक निवास किया और जब वे चीन लौटे, तो वे शी जिनपिंग के गांव में रहे थे."
आज नेता की परिभाषा में महात्मा गांधी कहां फिट होते हैं?
आज के युग में नेता की जो परिभाषा आप देखते हैं, उसमें महात्मा गांधी कहां फिट होते हैं? जवाब में PM मोदी ने कहा, "व्यक्तित्व के लिहाज से शरीर दुबला पतला...ओरेटरी (भाषण कला) न के बराबर थी. उस हिसाब से देखें, तो वह लीडर बन ही नहीं सकते थे. तो क्या कारण थे कि वह महात्मा बने. कारण खास है. उनके भीतर जीवटता थी, जिसने उस व्यक्ति के पीछे पूरे देश को खड़ा कर दिया था."
PM ने बताया- बाकी नेताओं से कितने अलग थे गांधी?
PM मोदी कहते हैं, "अब देखिए, महात्मा गांधी हाथ में अपने से भी ऊंचा डंडा रखते थे, लेकिन अहिंसा की वकालत करते थे. बहुत बड़ा अंतर्विरोध था फिर भी संवाद करते थे. महात्मा गांधी ने कभी टोपी नहीं पहनी, लेकिन दुनिया गांधी टोपी पहनती थी. यह संवाद की ताकत थी. महात्मा गांधी का क्षेत्र राजनीति था, लेकिन राज व्यवस्था नहीं थी. वह चुनाव नहीं लड़े, वह सत्ता में नहीं बैठे. लेकिन निधन के बाद जो जगह बनी (समाधि), वह राजघाट बना."
मोदी ने समझाया राजनीति का मतलब
PM मोदी ने अपने पॉडकास्ट में राजनीति का असली मतलब समझाया है. मोदी कहते हैं, "लेना, पाना और बनना ये मकसद है, तो उसकी उम्र लंबी नहीं है. राजनीति में पहली ट्रेनिंग है खुद को खपा देने की. राजनीति में मैं या मेरा नहीं होता है. यहां पर नेशन फर्स्ट होता है. यह बहुत बड़ा फर्क है. समाज भी नेशन फर्स्ट वाले व्यक्ति को भी स्वीकार करता है."
PM मोदी ने कहा, "राजनीतिज्ञ बनना एक हिस्सा है. राजनीति में सफल होना दूसरी चीज है. इसके लिए लगन और समर्पण होना जरूरी है. जनता के सुख-दुख के साथी होने चाहिए. आपका वास्तव में टीम प्लेयर होना जरूरी है. आप दूसरों पर हुक्म चला कर चुनाव जीत भले ही जाएं, लेकिन सफल राजनेता नहीं बन सकते हैं.
राजनीति का मतलब चुनाव नहीं
PM आगे कहते हैं, "राजनीति का मतलब चुनाव नहीं है. राजनीति का मतलब हार जीत नहीं है. राजनीति का मतलब लोगों की सेवा है. राजनीति में सब लोगों की जरूरत है. लोगों के जीवन में बदलाव की जरूरत है. अगर आप पॉलिसी मेकर हैं, तो आप लोगों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं. आप नीतियां बना जा सके हैं. नीतियों को लागू करके स्थितियां बदल सकते हैं. अगर आप सही दिशा में हैं और नेक इरादे से करते हैं, तो आपको परिणाम नजर आते हैं."
राजनीति में मिशन जरूरी, एंबिशन नहीं
इसके बाद निखिल कामथ ने राजनीति में युवा टैलेंट को लेकर सवाल किया. इसके जवाब में PM मोदी कहते हैं, "राजनीति में अच्छे लोग आते रहने चाहिए. देश को युवाओं की जरूरत है. नई सोच की जरूरत है. राजनीति में अगर युवा आएं, तो उन्हें एक मिशन लेकर आना होगा. एंबिशन लेकर आएंगे तो काम नहीं चलेगा."
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का किया जिक्र
PM मोदी ने इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जिक्र किया. PM ने कहा, "मैं जब राष्ट्रपति से मिलता हूं, तो वो बहुत भावुक हो जाती हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि हमें आदिवासियों के लिए करना है. इसके बाद PM जनमन योजना बनी. इससे कोई जीत हार नहीं है. इस योजना से आदिवासियों के जीवन में बदलाव आया." PM मोदी ने कहा कि राजनीति में अच्छे और सही समय से निर्णय से बड़ा परिवर्तन आ सकता है.
बचपन में पढ़ने में कैसे थे मोदी?
पॉडकास्ट इंटरव्यू में PM मोदी ने अपने स्कूली दिनों को भी याद किया है. उन्होंने बताया कि वह बचपन में एक सामान्य छात्र थे. पढ़ाई में सामान्य ही थे. उनमें ऐसा कुछ भी नहीं था कि कोई उन्हें नोटिस करता. मोदी कहते हैं, "बेशक मैं एक सामान्य लड़का था, लेकिन टीचर मुझे बहुत प्यार करते थे. मैं पढ़ाई में नॉर्मल था. अगर ज्यादा पढ़ना है. उसमें कॉम्पिटिशन एलिमेंट है, तो मैं इससे दूर भागता था."
PM मोदी ने अपने एक टीचर को याद किया. उन्होंने कहा, "मेरे एक शिक्षक थे रासबिहारी मणियाल. वो मुझे चिट्ठी लिखते थे. वही मुझे तू कहा करते थे."
चाय बेचते हुए सीखी हिंदी
इतनी अच्छी हिंदी कैसे सीखी? इसके जवाब में PM मोदी ने कहा, "गुजरात के मेहसाणा में एक रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते समय मैंने यह भाषा सीखी." मोदी ने निखिल कामथ को बताया कि उत्तर प्रदेश के कई डेयरी किसान व्यापार के लिए अक्सर इस क्षेत्र का दौरा करते हैं. PM ने कहा, "उनमें से लगभग 30-40 लोग हमेशा रेलवे प्लेटफॉर्म पर मौजूद रहते थे, जहां मैं चाय बेचता था. उनसे बात करते हुए, मैंने धीरे-धीरे हिंदी सीख ली."
गलती से सबक लेकर बढ़िए आगे
PM मोदी ने मानवीय मूल्यों पर भी बात की. उन्होंने कहा, "जब मुख्यमंत्री बना, तो मेरा एक भाषण था. उस समय मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि मुझसे गलतियां होती हैं. मैं भी इंसान हूं. मैं कोई देवता नहीं हूं." उन्होंने कहा, "हम सब गलती करते हैं. लेकिन इंसानों को अपनी गलती से सीखना चाहिए. सबक लेना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए."