प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को दावा किया कि आजादी के बाद सत्ता में रहे लोग पूजा स्थलों के महत्व को नहीं समझ सके और उन्होंने राजनीतिक वजहों से अपनी ही संस्कृति पर शर्मिंदा होने की प्रवृत्ति स्थापित की. गुवाहाटी में 11,600 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की शरुआत करने के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कोई भी देश अपना इतिहास मिटाकर प्रगति नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, पिछले 10 साल में स्थिति बदली है.'' मोदी ने कहा कि जिन परियोजनाओं की उन्होंने शुरुआत की उससे न केवल पूर्वोत्तर में बल्कि बाकी के दक्षिण एशिया में संपर्क सुविधा मजबूत होगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल में असम में शांति लौटी है और 7,000 से अधिक लोगों ने हथियार छोड़े हैं और मुख्यधारा में लौटे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दशक में क्षेत्र में रिकॉर्ड संख्या में पर्यटक आए हैं.''
बता दें कि इसमें राज्य और केंद्र की कई परियोजनाएं शामिल हैं. इनमें कामाख्या मंदिर गलियारा (498 करोड़ रुपये), गुवाहाटी में नए हवाई अड्डे के टर्मिनल से छह लेन की सड़क (358 करोड़ रुपये), नेहरू स्टेडियम का फीफा मानकों के अनुरूप उन्नयन (831 करोड़ रुपये) और चंद्रपुर में एक नया खेल परिसर (300 करोड़ रुपये) शामिल है.
पीएम मोदी ने राम मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि ''हमारे तीर्थ, हमारे मंदिर, हमारी आस्था के स्थान, ये सिर्फ दर्शन के स्थल नहीं है. यह हमारी सभ्यता की यात्रा की निशानी है. ये बताते हैं कि भारत ने किस तरह हर संकट का सामना किया और खुद को अटल रखा''. उन्होंने कहा, ''कोई भी देश अपने अतीत को मिटाकर, भुलाकर विकसित नहीं हो सकता है. मुझे संतोष है कि बीते 10 सालों में भारत की स्थिति बदल गई है. बीजेपी की डबल इंजन सरकार ने विकास और विरासत को अपनी नीति का हिस्सा बनाया है. असम में बीजेपी की सरकार से पहले सिर्फ 6 मेडिकल कॉलेज थे, जो आज 12 हो गए हैं. असम आज के वक्त में नॉर्थ ईस्ट में कैंसर के इलाज का बहुत बड़ा केंद्र बन रहा है. हमने रिकॉर्ड समय में IIT और IIM बनाए हैं.''
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