कश्मीर की तरक्की का 'नया रास्ता' अंजी पुल से होकर गुजरेगा, पढ़ें क्यों है ये खास

इस पुल के बन जाने से जम्मू-कश्मीर की जिंदगी बदलने वाली है. इससे घाटी तक जाने में अब पहले के मुकाबले कम समय लगेगा, आवाजाही आसान होगी साथ ही टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा और व्यापार को नई रफ्तार मिलेगी.

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अंजी पुल बदल देगा कश्मीर की तकदीर
कश्मीर:

जम्मू-कश्मीर के पहाड़ों के बीच बना अंजी पुल अब सिर्फ एक इंजीनियरिंग का चमत्कार नहीं, बल्कि एक सपना है जो हकीकत बन चुका है. यह भारत का पहला केबल-स्टे (cable-stayed) रेलवे पुल है, जो अंजी नदी के ऊपर बना है. यह पुल जम्मू से करीब 80 किलोमीटर दूर है और कटरा-बनिहाल रेल सेक्शन को जोड़ता है, जो उदयपुर-श्रीनगर-बारामुला रेलवे लाइन (USBRL) का अहम हिस्सा है.

अंजी खड्ड पुल अपने आप में एक करिश्मा है. ऊंचे-ऊंचे बर्फ से ढके पहाड़ों के बीच बना यह पुल 331 मीटर की ऊंचाई पर खड़ा है और करीब 725 मीटर लंबा है. इसके बीचों-बीच बना उल्टे वाई (Y) आकार का पिलर 193 मीटर ऊंचा है, जो 96 मजबूत स्टील केबल्स के सहारे पूरे पुल को मजबूती देता है.आपको बता दें कि इस पुल को बनाने में 8,215 मीट्रिक टन स्टील लगा है. यहां की भौगोलिक चुनौतियां, मौसम की मार, भूकंप और तेज हवाएं सबको मात देकर ये पुल न सिर्फ खड़ा हुआ है, बल्कि मजबूती से टिका भी हुआ है.

इस पुल के बन जाने से जम्मू-कश्मीर की जिंदगी बदलने वाली है. इससे घाटी तक जाने में अब पहले के मुकाबले कम समय लगेगा, आवाजाही आसान होगी साथ ही टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा और व्यापार को नई रफ्तार मिलेगी.इस पुल के शुरू होते ही कश्मीर की जनता को विकास की एक नई राह मिलेगी. गांव-गांव, शहर-शहर अब और करीब आएंगे.

अंजी खड्ड पुल सिर्फ एक ढांचा नहीं, ये भारत की सोच, उसकी तकनीकी ताकत और कश्मीर के उज्ज्वल भविष्य की पहचान है. ये पुल उम्मीदों को जोड़ता है, सपनों को रास्ता देता है और आने वाली पीढ़ियों को बताता है कि अगर इरादा मजबूत हो तो पहाड़ भी झुक जाते हैं.ये पुल न केवल रास्ते जोड़ेगा बल्कि दिल भी.  कश्मीर की वादियों में खड़ा ये पुल अब तरक्की की एक नई पहचान बनने को तैयार है. 

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