पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में किया था जिस अब्बास का जिक्र, वो अब ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं: रिपोर्ट

पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि मुझे अच्छे से याद है कि कैसे हमारे पिता ने अपने दोस्त की मृत्यु के बाद उनके बेटे अब्बास को हमारे घर लेकर आए थे.

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नई दिल्ली:

पीएम मोदी ने बीते दिनों अपने ब्लॉग में जिस दोस्त अब्बास का जिक्र किया था. सूत्रों के अनुसार वो बीते लंबे समय से ऑस्ट्रेलिया में अपने बेटे के साथ रह रहे हैं. बाते दें कि पीएम मोदी ने अपनी मां के 100वें जन्मदिन के मौके पर एक ब्लॉग लिखा था, इसी ब्लॉग में उन्होंने अपने दोस्त अब्बास का जिक्र किया था. उन्होंने लिखा था कि ये बात 70 के दशक के शुरुआती सालों की रही होगी, जब मेरे वाडनगर वाले घर में अब्बास रामसदा नाम का एक मुस्लिम लड़का रहता था. वो हमारे घर में तीन साल से ज्यादा समय तक रहा. इस दौरान वह हमसे ऐसे घुलमिल गया जैसे वो हमारे ही परिवार से हो. बताते चलें कि अब्बास पीएम मोदी के छोटे भाई पंकज मोदी के साथ पढ़ते थे. 

पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि मुझे अच्छे से याद है कि कैसे हमारे पिता ने अपने दोस्त की मृत्यु के बाद उनके बेटे अब्बास को हमारे घर लेकर आए थे. पिता की मौत के बाद अब्बास हमारे साथ ही रहने लगा. मेरी मां उसका ख्याल भी बाकि हम भाइयों की तरह ही रखने लगी थी. पीएम ने लिखा था कि मुझे अच्छे से याद है कि अब्बास हमारे परिवार के सदस्य की तरह ही हो चुका था. मेरी मां उसके लिए हर साल ईद में सवइंया और खीर बनाती थी. अब्बास के पिता मेरे घर के पास ही एक गांव में रहते थे.

वहीं प्रह्लाद मोदी के अनुसार अब्बास रामसदा वाडनगर शहर के पास स्थित केसिम्पा गांव का रहने वाला था. वो उनके छोटे भाई पंकज मोदी के साथ श्री बीएन हाई स्कूल वाडनगर में पढ़ते थे. प्रह्लाद मोदी कहते हैं कि जब पंकज को पता चला कि अब्बास अपने पिता की मृत्यु के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ सकता है तो उसने पिता से अनुरोध किया कि वो उसे अपने घर में लेकर आ जाए. मेरे पिता ने पंकज की बात सुनते ही अब्बास को बगैर किसी हिचक के घर लेकर आ गए. वो हमारे साथ तब तक रहा जब तक उसने 10वीं पास नहीं कर लिया. प्रह्लाद के अनुसार 70 के दशक के शुरुआती सालों में अब्बास उनके परिवार के साथ करीब चार साल तक रहा था. 

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प्रह्लाद मोदी ने कहा कि उस दौरान हमारे परिवार की तरफ से अब्बास को साफ तौर पर कहा गया था कि तुम अपने धर्म को मानने के लिए स्वतंत्र हो. हमने उसे अपने ही घर में नमाद पढ़ने की अनुमति भी दी. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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