यह ध्वज... PM मोदी ने बताए राम मंदिर की दिव्य धर्म ध्वजा के 13 अर्थ, जानिए

राम मंदिर पर धर्म ध्वजा के लहराने पर पीएम मोदी ने कहा कि ये धर्मध्वजा केवल एक ध्वजा नहीं, ये भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का ध्वज है. इसका भगवा रंग, इसपर रचित सूर्यवंश की ख्याति, वर्णित ॐ शब्द और अंकित कोविदार वृक्ष रामराज्य की कीर्ति को प्रतिरूपित करता है.

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  • अयोध्या के राम मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धर्म ध्वज फहराई
  • पीएम मोदी ने धर्म ध्वज के 13 गहरे अर्थ बताए जो संकल्प, सफलता, आदर्श और सामाजिक सद्भाव के प्रतीक हैं
  • धर्म ध्वज राम मंदिर निर्माण की दृढ़ निश्चय, संघर्षों में विजय, समाज की सहभागिता और सत्य के संदेश का प्रतीक
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अयोध्या:

अयोध्या के राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वजा की स्थापना की गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर पर भगवा ध्वज फहराया. इस दौरान उनके साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत और ट्रस्ट के गोविंदगिरी भी मौजूद रहे. इसके बाद पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित भी किया. अयोध्या के राम मंदिर में धर्म ध्वजा फहराने के ऐतिहासिक क्षण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि संकल्प, सफलता और आदर्शों का उद्घोष बताया. उन्होंने अपने संबोधन में इस ध्वज के 13 गहरे अर्थ बताए, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनेंगे.

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पीएम मोदी ने बताए धर्म ध्वजा के 13 अर्थ

  1. यह ध्वज संकल्प है – राम मंदिर निर्माण का दृढ़ निश्चय
  2. यह ध्वज सफलता है – संघर्षों के बाद मिली विजय
  3. संघर्ष से सृजन की गाथा – सदियों की प्रतीक्षा के बाद साकार हुआ सपना
  4. सदियों से चले आ रहे स्वप्नों का साकार स्वरूप – राम भक्तों की आकांक्षा का परिणाम
  5. संतों की साधना और समाज की सहभागिता की परिणति – सामूहिक प्रयास का प्रतीक
  6. प्रभु राम के आदर्शों का उद्घोष – धर्म, सत्य और मर्यादा का संदेश
  7. सत्यमेव जयते का आह्वान – सत्य की विजय का उद्घोष
  8. सत्यं एक पदं – ब्रह्म का स्वरूप सत्य में प्रतिष्ठित
  9. प्राण जाय पर वचन न जाई – वचन पालन की प्रेरणा
  10. कर्म प्रधान विश्व रचि राखा – कर्तव्य और कर्म की प्रधानता
  11. भेदभाव, पीड़ा और परेशानी से मुक्ति की कामना – समाज में शांति और सुख
  12. नहीं दरिद्र कोऊ दुखी न दीना – गरीबी और दुख से मुक्त समाज का संकल्प
  13. दूर से रामलला की जन्मभूमि के दर्शन कराएगा – मंदिर न आ पाने वालों को भी पुण्य का अवसर

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ध्वज को प्रणाम कर भी पुण्य प्राप्त कर सकते हैं

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हमारे ग्रंथों में लिखा है कि जो लोग मंदिर नहीं आ पाते, वे दूर से ध्वज को प्रणाम कर भी पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने इस अवसर को विश्वभर के करोड़ों राम भक्तों के लिए अविस्मरणीय क्षण बताया और सभी को शुभकामनाएं दीं. पीएम मोदी ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि राम मंदिर का ये दिव्य प्रांगण भारत के सामुहिक सामर्थ्य की भी चेतना स्थली बन रहा है, यहां सप्त मंदिर बने हैं. यहां माता शबरी का मंदिर बना है, जो जनजातीय समाज के प्रेमभाव और आतिथ्य की प्रतिमूर्ति है. यहां निषादराज का मंदिर बना है, ये उस मित्रता का साक्षी है, जो साधन नहीं, साध्य को और उसकी भावना को पुजती है.

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राम भेद से नहीं भाव से जुड़ते हैं

पीएम मोदी ने कहा, " यहां एक ही स्थान पर माता अहिल्या है, महर्षि वाल्मीकि हैं, महर्षि वशिष्ठ हैं, महर्षि विश्वामित्र हैं, महर्षि अगस्त्य हैं और संत तुलसीदास हैं.  रामलला के साथ-साथ इन सभी ऋषियों के दर्शन भी यहीं पर होते हैं. यहां जटायु जी और गिलहरी की मूर्तियां भी हैं. जो बड़े संकल्पों की सिद्धि के लिए हर छोटे से छोटे प्रयास के महत्व को दिखाती हैं. मैं हर देशवासी से कहूंगा कि जब आप राम मंदिर के दर्शन करे तो सप्त मंदिर के दर्शन भी करे. ये मंदिर आस्था के साथ-साथ मित्रता, सामाजिक सद्भाव के मूल्यों को भी शक्ति देते हैं हम सब जानते हैं कि राम भेद से नहीं भाव से जुड़ते हैं."

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