कर्नाटक में सामने आए प्रमुख घोटालों की जांच की मांग को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई है. मैसूर के वकील संतोष की ओर से दायर जनहित याचिका में 2019 से मुदा, वाल्मिकी से जुड़े 18 घोटालों की जांच की मांग की गई है.
इन घोटालों को लेकर जांच की मांग
1. 2020-21 में कल्याण कर्नाटक के क्षेत्रीय विकास में 200 करोड़ रुपये का घोटाला
2. 2020-21 में APMC में 47.16 करोड़ रुपये का घोटाला
3. 2021-22 में भोवि विकास बोर्ड में 87 करोड़ रुपये का घोटाला
4. 2022-23 में देवराज ट्रक टर्मिनल घोटाला में 50 करोड़ रुपये का घोटाला
5. 2021-22 में गंगा कल्याण योजना में 430 करोड़ रुपये का घोटाला
6. 2021-22 में पर्यटन विभाग में 2.47 करोड़ रुपये का घोटाला
7. 2019 से 2023 के बीच केओनिक्स में 500 करोड़ रुपये का घोटाला
8. 2019-23 तक कोविड योजना में 4000 करोड़ रुपये का घोटाला
9. 2019 से 2023 के बीच 40% कमीशन घोटाला
10. 2019-23 में 100 करोड़ रुपये से अधिक का पीएसआई भर्ती घोटाला
11. 2021-23 में परशुराम प्रतिमा निर्माण में 11 करोड़ रुपये का घोटाला
12. 2021-23 में बिटकॉइन मामले में 1000 करोड़ रुपये का घोटाला
13. 2021 में बीएस येदियुरप्पा की कथित कमाई 750 करोड़ रुपये
14. 2021 में 4 मेडिकल कॉलेजों से जुड़ा 300 करोड़ रुपये का घोटाला
15. 2015 में सिंचाई विभाग के प्रोजेक्ट में 40 करोड़ रुपये का घोटाला
16. चामराजनगर सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत
17. MUDA द्वारा अवैध साइट आवंटन घोटाला
18. महर्षि वाल्मिकी विकास निगम घोटाला
दरअसल, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप है. बताया जा रहा है कि उनकी पत्नी पार्वती को मैसूरी विकास प्राधिकरण (मूडा) में एक घोटाले में फायदा हुआ. विपक्ष का आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी को शहर के एक दूरदराज इलाके में 3.40 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के बदले वैकल्पिक भूखंड दिए गए.
कांग्रेस सरकार ने 14 जुलाई को मुडा घोटाले की जांच के लिए उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी एन देसाई की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था.