महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अवकाश देने की मांग, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल

याचिकाकर्ता के मुताबिक बिहार ही एकमात्र राज्य है जो 1992 की नीति के तहत विशेष मासिक धर्म अवकाश प्रदान करता है.

विज्ञापन
Read Time: 10 mins
नई दिल्ली:

महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अवकाश देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गयी है. याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में भारत में छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए मासिक धर्म पीड़ा या मासिक धर्म अवकाश की मांग की गई है.वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा दाखिल याचिका में सुप्रीम कोर्ट से राज्य सरकारों व केंद्र से महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दौरान की छुट्टी के लिए नियम बनाने के लिए निर्देश जारी करने को कहा गया है. याचिकाकर्ता के मुताबिक बिहार ही एकमात्र राज्य है जो 1992 की नीति के तहत विशेष मासिक धर्म अवकाश प्रदान करता है.

ऐसे में देश के अन्य राज्यों में महिलाओं को मासिक धर्म पीड़ा या मासिक धर्म अवकाश से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के उनके अधिकार का उल्लंघन है.याचिका के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि मासिक धर्म  छुट्टी को लेकर विधायी इच्छाशक्ति की कमी है.क्योंकि संबंधित मामलों पर लोकसभा में दो निजी सदस्य बिल पेश किए गए थे लेकिन दोनों बिल लैप्स हो गए हैं.

याचिका में यह भी कहा गया है कि यदि कुछ संगठनों और राज्य सरकारों को छोड़कर, समाज,  विधायिका और अन्य हितधारकों द्वारा जाने-अनजाने में मासिक धर्म की अवधि में छुट्टी की मांग को अनदेखा किया गया है.याचिका के मुताबिक जहा कुछ भारतीय कंपनियां जैसे इविपनन, जोमैटो, बायजूज, स्विगी, मातृभूमि, मैग्जटर,, एआरसी, फ्लाईमायबिज और गूजूप पेड पीरियड लीव ऑफर करती हैं.वहीं UK, चीन, जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, स्पेन और जाम्बिया पहले से ही किसी न किसी रूप में मासिक धर्म पीड़ा अवकाश देते है. 
 

Advertisement

ये भी पढ़ें- 

Featured Video Of The Day
Manipur Violence: मणिपुर में बिगड़े हालात के बीच Amit Shah ने की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा
Topics mentioned in this article