पटाखों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने बुधवार को हरित पटाखों के कारोबारियों से पूछा कि क्या उनके लिए यह उचित नहीं है कि वे आगामी महीनों के दौरान शहर में सभी प्रकार के पटाखों (Firecrackers) की बिक्री और उपयोग पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख करें.

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दिल्ली सरकार के वकील ने कहा प्रतिबंध लगाने का आदेश शहर की वायु गुणवत्ता को देखते हुए जारी किया गया था. 
नई दिल्ली:

दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने बुधवार को हरित पटाखों के कारोबारियों से पूछा कि क्या उनके लिए यह उचित नहीं है कि वे आगामी महीनों के दौरान शहर में सभी प्रकार के पटाखों (Firecrackers) की बिक्री और उपयोग पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख करें. हाई कोर्ट ने पटाखों और पर्यावरण पर उनके प्रभाव से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित होने के मद्देनजर यह टिप्पणी की. हाई कोर्ट पटाखों के विक्रेताओं की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिनमें “केवल हरित पटाखों की खरीद, बिक्री और भंडारण” की अनुमति मांगी गई है. अदालत ने मामले की सुनवाई सात अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी ताकि उच्चतम न्यायलय से समक्ष चल रही कार्यवाही के दायरे के बारे में और स्पष्टता हासिल की जा सके.

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा, “क्या (विक्रेताओं की) एसोसिएशन के लिए यह उचित नहीं है कि वह वहां (सर्वोच्च न्यायालय में) एक आवेदन दायर करे, जहां मामला अभी लंबित है?” अदालत ने कहा, “पेश की गई सामग्री के आधार पर प्रतीत होता है कि पटाखों की बिक्री व पर्यावरण पर इसके प्रभाव का मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय के विचाराधीन है. (इसलिए) मुद्दा यह है कि क्या वर्तमान याचिका पर अलग से विचार किया जाना चाहिए या नहीं?” हरित पटाखों के कारोबारियों ने आने वाले महीनों के दौरान शहर में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और उपयोग पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की ओर से लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि प्रतिबंध लगाने का आदेश शहर की वायु गुणवत्ता को देखते हुए जारी किया गया था, जो खराब हो रही थी. याचिकाकर्ताओं, ‘शिवा फायरवर्क्स' और ‘जय माता स्टोर्स' ने अपनी याचिका में कहा कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता 15 अगस्त से “मध्यम” रही है, लिहाजा हरित पटाखों के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है. याचिकाकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि 14 सितंबर को डीपीसीसी की ओर से “अंतिम क्षणों में लगाया गया प्रतिबंध” मनमाना और अवैध है तथा इससे उनकी आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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