पूर्व गवर्नर ने कहा कि नोटबंदी से नाटकीय रूप से अर्थव्यवस्था में गिरावट देखने को मिल सकती है...
नई दिल्ली: पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने NDTV को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि अप्रत्याशित नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि इससे नाटकीय रूप से अर्थव्यवस्था में गिरावट देखने को मिल सकती है. इसके अलावा, कंपनियों का धंधा चौपट हो सकता है. उन्होंने कहा कि मैंने इस संबंध में सरकार को बता दिया था. राजन ने कहा कि वह दूसरा कार्यकाल चाहते थे लेकिन सरकार ने दिलचस्पी नहीं दिखाई.
रघुराम राजन के साक्षात्कार के अंश:
NDTV: आपको आरबीआई गवर्नर के रूप में दो वर्ष के एक्सटेंशन की पेशकश की गई थी लेकिन शिकागो यूनिवर्सिटी ने छुट्टियां देने से इनकार कर दिया. सही या गलत?
रघुराम राजन: यह गलत है. शिकागो यूनिवर्सिटी ने कभी भी मुझ पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया. वह तो मुझे छुट्टियां देकर प्रसन्न थी.
NDTV: तो फिर आरबीआई गवर्नर के रूप में कार्यकाल आगे नहीं बढ़ाने का क्या कारण था?
रघुराम राजन: मेरा तीन वर्ष का कार्यकाल था और यह समाप्त होने को था. मुझे विस्तार की आवश्यकता थी. सरकार से अनुबंध था लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सरकार ने नए अनुबंध की पेशकश नहीं की.
NDTV: तो क्या आप दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार थे?
रघुराम राजन: मैं तो बात करने के लिए तैयार था. हम नए अनुबंध पर बात करना चाहते थे और कुछ नया करने की कोशिश कर रहे थे बात आगे नहीं बढ़ी.
NDTV: क्या आपको इस बात को लेकर चिंता थी कि नोटबंदी सफल नहीं होगी?
रघुराम राजन: मुझे लगता है कि परिस्थितियां महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं. जहां तक कालेधन की बात है तो भारतीय लोग जुगाड़ लगाने में बहुत कुशल होते हैं. लोग निश्चित रूप से इसका जुगाड़ निकाल लेंगे.
NDTV: नए नोट पर आप क्या कहेंगे?
रघुराम राजन: हमने नए नोट डिजाइन करने की प्रक्रिया शुरू की थी. नए नोट 2000, 500 और 1000 नोट को मई में मंजूरी दी गई. नोटबंदी की तैयारी किसी को जानकारी न देना गलत. हो सकता है कि अर्थशास्त्रियों को यह विचार पसंद आया हो.
NDTV: तो क्या हमें नोटबंदी को लेकर आगे बढ़ना चाहिए था?
रघुराम राजन: हमें अभी तक नोटबंदी के पूरे प्रभाव पता नहीं चले हैं. उपलब्ध जानकारी के आधार पर यही कहा जा सकता है कि इससे भावी लाभांश प्रभावित होंगे. मेरा उत्तर तो न ही होगा.