पेगासस स्पाइवेयर मामले (Pegasus Case) की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने छह सदस्यों की एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है और उससे अहम बिन्दुओं पर जांच करने को कहा है. कोर्ट ने कमेटी से कहा है कि इस बात की जांच की जाए कि क्या स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल भारत के नागरिकों के फोन या अन्य उपकरणों पर संग्रहीत डेटा तक पहुंचने, बातचीत सुनने, इंटरसेप्ट करने और/या किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया गया है?
इसके अलावा कोर्ट ने निम्न बिंदुओं पर भी जांच करने को कहा है-
- ऐसे स्पाइवेयर हमले से प्रभावित हुए लोगों और/या व्यक्तियों की विवरण की जांच करना.
- पेगासस का उपयोग करते हुए भारतीय नागरिकों का 2019 में व्हाट्सएप अकाउंट हैक होने के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद केंद्र सरकार द्वारा क्या कदम/कार्रवाई की गई है?
- क्या केंद्र या किसी भी राज्य सरकार, या कोई केंद्रीय या राज्य एजेंसी ने पेगासस की सेवा ली है?
- अगर किसी सरकारी एजेंसी ने पेगासस का इस्तेमाल किया है तो किस कानून, नियम, दिशानिर्देश, प्रोटोकॉल या वैध प्रक्रिया के तहत ऐसा किया?
- अगर किसी घरेलू संस्था/व्यक्ति ने स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है तो क्या ऐसा प्रयोग अधिकृत है?
- इसके अलावा कोई अन्य मामला या पहलू जो उपरोक्त संदर्भ की शर्तों से जुड़ा हो.
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सुप्रीम कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी से निम्न आठ बिंदुओं पर सिफारिशें भी मांगी हैं-
- निगरानी के मौजूदा कानून और प्रक्रियाओं या उनके संशोधन के संबंध में.
- निजता के अधिकार को बेहतर तरीके से सुरक्षित करने के लिए.
- साइबर सुरक्षा को बढ़ाने और सुधारने के संबंध में.
- नागरिकों के निजता के अधिकार पर हमले की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए
- नागरिकों को उपकरणों की अवैध निगरानी के संदेह पर शिकायतों के लिए तंत्र की स्थापना.
- देश में साइबर हमलों से संबंधित खतरों के आंकलन के लिए साइबर सुरक्षा कमजोरियों की जांच करने और साइबर हमले के मामलों की जांच के लिए एक सुसज्जित स्वतंत्र प्रीमियर एजेंसी की स्थापना के संबंध में.
- किसी भी तदर्थ व्यवस्था के संबंध में जो इस न्यायालय द्वारा नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए अंतरिम उपाय के रूप में संसद द्वारा कमियों को भरने के लिए लंबित है.
- कोई भी अन्य सिफारिश जो कमेटी उचित समझे
बता दें कि कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रिटार्यड जज जस्टिस आरवी रविंद्रन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है जो उपरोक्त बिंदुओं पर जांच करेगी और कोर्ट को अपनी सिफारिशें देगी. पूर्व IPS अधिकारी आलोक जोशी को भी एक्सपर्ट कमेटी में जगह दी गई है. जोशी पूर्व RAW चीफ हैं.
पेगासस जासूसी कांड मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कटघरे में खड़ा किया और कड़ी टिप्पणी की कि अदालत मूकदर्शक बनी नहीं रह सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को उनकी निजता के अधिकार के उल्लंघन से बचाया जाना चाहिए. पेगासस जासूसी का आरोप प्रकृति में बड़े प्रभाव वाला है. अदालत को सच्चाई का पता लगाना चाहिए.