देश के कई बिजली उत्पादन संयंत्र भीषण कोयले का संकट (Coal Crisis) झेल रहे हैं. इससे ऊर्जा संकट (Power Crisis) गहरा गया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे ने इससे निपटने के लिए और कोयले की निर्बाध ढुलाई के लिए कई पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया है, ताकि कोयला ले जा रही माल गाड़ियों को और तेजी से चलाया जा सके और उसे ससमय निर्धारित स्टेशनों पर पहुंचाया जा सके.
देशभर में बिजली का संकट तब गहराया है, जब चिलचिलाती गर्मी पड़ रही है और बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है. इस बीच बिजली उत्पादन संयंत्रों में भी कोयले की मांग बढ़ गई है लेकिन मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं हो पा रही है. देश की बिजली का लगभग 70% उत्पादन ताप विद्युत केंद्रों से ही होता है.
कोयले संकट की वजह से भारत के कई हिस्से लंबे समय से ब्लैकआउट का सामना कर रहे हैं, जबकि कुछ उद्योग ईंधन की कमी के कारण उत्पादन में कटौती कर रहे हैं. इस संकट की वजह से महामारी से उपजी मंदी से अर्थव्यवस्था के विकास में खतरा पैदा कर सकता है. आने वाले समय में महंगाई और बढ़ सकती है.
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एशिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक भारतीय रेलवे के कार्यकारी निदेशक गौरव कृष्ण बंसल ने कहा कि यह पैसेंजर ट्रेनों को कैंसिल करने का उपाय अस्थायी है और स्थिति सामान्य होते ही यात्री सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी. उन्होंने कहा कि बिजली संयंत्रों तक कोयले की ढुलाई में लगने वाले समय को कम करने के लिए ये कदम उठाया गया है.
बता दें कि कोयले की ढुलाई के लिए अक्सर रेलवे को लेट लतीफी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है. गाड़ियों और रैक्स की कमी भी एक बड़ी समस्या है. इसे देखते हुए रेलवे ने अपने बेड़े में एक लाख और वैगन जोड़ने की योजना बनाई है. इसके अलावा रेलवे माल को तेजी से पहुंचाने के लिए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भी बना रहा है.
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