महारानी अहिल्या बाई होलकर की संपत्ति विवाद में राज परिवार को सुप्रीम कोर्ट से आंशिक राहत

सरकार की दलील थी कि ये सच है कि राज घराने की निजी संपदा पर घराने के वारिसों का अधिकार है, लेकिन आजादी के बाद भारत में होलकर साम्राज्य के विलय के बाद खासगी संपदा पर न्यास के माध्यम से सरकार का अधिकार है.

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नई दिल्ली:

महारानी अहिल्या बाई होलकर के वंशजों के बीच राजघराने की संपदा के रखरखाव के लिए बने ट्रस्ट को जानकारी दिए बगैर मनमाने ढंग से बेचने को लेकर मचे विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने होलकर राज परिवार को आंशिक रूप से राहत दी है. विवाद हरिद्वार में स्थित ट्रस्ट की एक संपत्ति की बिक्री का था. सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद में सभी पक्षकारों की दलील सुनने के बाद अपना फैसला गुरुवार को सुना दिया.

सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें ट्रस्ट के खासगी न्यासियों के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा की जांच कराने की बात कही गई थी. आरोपी ट्रस्टियों में दो तो इंदौर के पूर्व महाराज यशवंत राव होलकर की बेटी और दामाद ही थे. ये दोनों महारानी अहिल्या बाई होलकर की छठी पीढ़ी में आते हैं.

मध्य प्रदेश सरकार और खासगी यानी अहिल्याबाई होलकर चैरिटीज (ट्रस्ट) के बीच 246 संपदाओं को लेकर 2012 से ही विवाद चल रहा था. हरिद्वार के होलकर वाड़ा इलाके में स्थित कुशावर्त गंगा घाट के कुछ प्लॉट और इमारतों की बिक्री पर विवाद था. ये संपदा राज घराने की निजी जायदाद थी लेकिन उसके आसपास खासगी ट्रस्ट की भी संपत्ति थी. 

संपदा खरीदने वाले निजी हकदारों ने जब वहां धर्मशालाओं और स्मारकों को ध्वस्त करना शुरू किया, तो विरोध तूल पकड़ गया और बात कोर्ट तक पहुंची. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसले में निर्देश दिया था कि ट्रस्टियों के खिलाफ लगाए गए आर्थिक हेराफेरी और अमानत में खयानत के इल्जाम की पड़ताल राज्य की आर्थिक अपराध शाखा जांच करे.

जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस एएस ओक और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि ये जांच गैर जरूरी है. मध्य प्रदेश सरकार ने दलील दी थी कि ये संपदा लोक न्यास के तहत है जिस पर मालिकाना हक सरकार का है.

सरकार की दलील थी कि ये सच है कि राज घराने की निजी संपदा पर घराने के वारिसों का अधिकार है, लेकिन आजादी के बाद भारत में होलकर साम्राज्य के विलय के बाद खासगी संपदा पर न्यास के माध्यम से सरकार का अधिकार है.

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ट्रस्ट 246 संपदाओं का मालिक है लेकिन मध्य प्रदेश लोक न्यास कानून 1951 की धारा 14 के मुताबिक रजिस्ट्रार की पूर्व अनुमति से ट्रस्ट अपनी संपदा बेच सकता है. 

सुप्रीम कोर्ट ने लोक न्यास केके रजिस्ट्रार को निर्देश दिया है कि को इस खरीद फरोख्त की नए सिरे से जांच कराएं. अगर ट्रस्ट को नुकसान पहुंचाते हुए संपत्ति बेचने की प्रक्रिया में कोई घपला पाया जाए तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ समुचित कार्रवाई करे.

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