संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल नहीं हुए. सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे. सर्वदलीय बैठक में अधिकांश विपक्षी दलों ने पेगासस जासूसी विवाद, महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा की मांग की.
आप नेता संजय सिंह ने यह आरोप लगाते हुए सर्वदलीय बैठक से वॉकआउट कर दिया कि उन्हें बोलने नहीं दिया गया. वह किसानों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून की मांग उठाना चाहते थे. सिंह ने कहा, 'वे (सरकार) सर्वदलीय बैठक के दौरान किसी भी सदस्य को बोलने नहीं देते. मैंने संसद के इस सत्र में एमएसपी गारंटी पर कानून लाने और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के विस्तार आदि सहित अन्य मुद्दों को उठाया. वे हमें सर्वदलीय बैठक और संसद नहीं बोलने देते.'
'बीजेपी के उसूलों, चालचलन के खिलाफ हम मिलकर लड़ेगे' : संसद के शीत सत्र को लेकर मल्लिकार्जुन खडगे
साथ ही उन्होंने कहा, 'अगर हम किसानों का मुद्दा नहीं उठा सकते, नौजवानों का मुद्दा नहीं उठा सकते, महिला सुरक्षा का मुद्दा नहीं उठा सकते तो हम यहां आते क्यों है?'
'सोमवार को संसद में ही रहें', BJP ने सांसदों को जारी किया व्हिप, कृषि कानून वापसी बिल होगा पेश
सरकार ने कृषि कानूनों को निरस्त करने के सरकारी विधेयक को सोमवार को सत्र के पहले दिन लोकसभा में पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किया है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बिल को सदन में पेश करेंगे. सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अपने सांसदों को उस दिन उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है.
सत्र-पूर्व की बैठक में विपक्षी नेताओं में कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी और आनंद शर्मा, डीएमके से टीआर बालू और तिरुचि शिवा, राकांपा से शरद पवार, शिवसेना से विनायक राउत, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, बसपा से सतीश मिश्रा, बीजद से प्रसन्ना आचार्य और नेशनल कॉन्फ्रेंस से फारूक अब्दुल्ला शामिल हुए.
किसान सोमवार को नहीं करेंगे 'संसद मार्च', संयुक्त किसान मोर्चा का फैसला
इसके बाद में भाजपा संसदीय कार्यकारिणी की बैठक करेगी. सदन में एनडीए नेताओं के दोपहर करीब 3 बजे मिलने की उम्मीद है.
वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद शनिवार को किसानों ने अपना 'संसद मार्च' टालने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि वे अपने अगले फैसले की घोषणा 4 दिसंबर को करेंगे. पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. इसके साथ ही उन्होंने किसानों से घर लौट जाने की अपील की. हालांकि, किसानों का कहना है कि जब तक कानून औपचारिक रूप से निरस्त नहीं हो जाते और एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित सभी मांगों को पूरा नहीं कर लिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.