'विदेशी के बयानों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए': जैक डोर्सी के दावे पर चर्चा से संसदीय पैनल ने किया इनकार

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के लिए संसदीय स्थायी समिति की गुरुवार को बैठक हुई. इसमें संसदीय पैनल ने इस मुद्दे पर चर्चा से इनकार कर दिया.

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संचार और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के लिए संसदीय स्थायी समिति की गुरुवार को बैठक हुई.
नई दिल्ली:

ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी के दावे पर उठा विवाद अभी शांत होता नहीं दिख रहा है. विपक्षी पार्टी के सांसद इस मामले में संसद की स्थायी समिति के समक्ष उठाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने ट्विटर के पूर्व सीईओ के आरोपों पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है. निशिकांत दुबे ने कहा कि क्या विपक्ष अपने देश की सरकार के बजाए एक विदेशी की बातों पर ज्यादा भरोसा करती है. उन्होंने कहा कि एक विदेशी के संस्करण को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए. 

संचार और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के लिए संसदीय स्थायी समिति की गुरुवार को बैठक हुई. बैठक में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ट्विटर के पूर्व प्रमुख जैक डोर्सी के उस बयान का उल्लेख किया और चर्चा की मांग की. हालांकि, संसदीय पैनल ने इस मुद्दे पर चर्चा से इनकार कर दिया. 

समिति की बैठक में मौजूद एक विधायक ने इसके बारे में जानकारी दी. उनके मुताबिक, कुछ विपक्षी सांसदों ने इस मामले को उठाने की कोशिश की, लेकिन समिति के अध्यक्ष ने उन्हें ऐसा करने से परहेज करने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा विचार-विमर्श के एजेंडे में नहीं था. इस बैठक का मुख्य एजेंडा 'नागरिकों की डेटा सुरक्षा और गोपनीयता विषय पर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधियों का साक्ष्य' था. 

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डेटा प्रोटेक्शन बिल पर हुई चर्चा
इससे पहले इस समिति की बैठक में डेटा प्रोटेक्शन बिल पर चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक, मोटे तौर पर सदस्यों में इस बिल को लेकर सहमति दिखी. कुछ सदस्यों ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने आधार का डेटा बिना किसी प्रोटेक्शन के जमा किया.

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इस समिति में दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) सहित विभिन्न दलों के 31 सदस्य हैं. बैठक में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिकों सहित सचिव, अतिरिक्त सचिव और तीन अन्य अधिकारियों ने भाग लिया.

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जैक डोर्सी ने क्या कहा था?
ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने एक यूट्यूब चैनल 'ब्रेकिंग पॉइंट्स' को इंटरव्यू दे रहे थे. उनसे सवाल किया गया कि क्या कभी किसी सरकार की तरफ से उन पर दबाव बनाने की कोशिश की गई? इसके जवाब में डोर्सी ने बताया कि ऐसा कई बार हुआ और फिर डोर्सी ने भारत का उदाहरण दिया. अपनी बात को विस्तार में बताते हुए डोर्सी ने कहा कि सरकार की तरफ से उनके कर्मचारियों के घरों पर छापेमारी की बात कही गई. साथ ही नियमों का पालन नहीं करने पर ऑफिस बंद करने की भी धमकी दी गई. डोर्सी ने कहा कि यह सब भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में हुआ.

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केंद्र ने दिया ये जवाब
जैक डोर्सी के आरोपों पर सरकार ने भी तगड़ा जवाब दिया था. भारत के आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीट करते हुए जैक डोर्सी के आरोपों को झूठा करार दिया. उन्होंने लिखा कि यह ट्विटर के इतिहास के उस धुंधले दौर को साफ करने की कोशिश है, जब ट्विटर डोर्सी के कार्यकाल में लगातार भारतीय कानूनों का उल्लंघन कर रहा था. साल 2020 से लेकर 2022 तक ट्विटर ने भारतीय कानूनों के मुताबिक काम नहीं किया और जून 2022 से भारतीय कानूनों का पालन शुरू किया. किसी को भी जेल नहीं हुई और ना ही ट्विटर को बंद किया गया. डोर्सी के कार्यकाल के दौरान ट्विटर को भारत की संप्रभुता और भारतीय कानूनों को स्वीकार करने में समस्या थी.

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