राहुल गांधी से माफी के मुद्दे पर संसद में फिर हंगामा, दोनों सदनों की कार्यवाही मंगलवार तक स्‍थगित

 संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में सदन की कार्यवाही पिछले कई दिनों से हंगामे की भेंट चढ़ती रही है.  भाजपा लगातार कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लंदन में दिए गए उनके बयान के लिए माफी की मांग पर अड़ी है.

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बजट सत्र 6 अप्रैल को समाप्‍त होने जा रहा है
नई दिल्‍ली:

संसद की कार्यवाही आज भी हंगामे की भेंट चढ़ गई. विपक्ष और पक्ष दोनों ही सदन में हंगामा करते नजर आए. हंगामे के चलते राज्‍यसभा और लोकसभा दोनों की कार्यवाही बार-बार के व्‍यवधान के बाद मंगलवार सुबह तक के लिए स्‍थगित करनी पड़ी है. भाजपा लगातार कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लंदन में दिए गए उनके बयान के लिए माफी की मांग पर अड़ी है. इधर, कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां भी विभिन्‍न मुद्दों को लेकर हंगामा कर रही हैं. बता दें कि संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में सदन की कार्यवाही पिछले कई दिनों से हंगामे की भेंट चढ़ती रही है. लोक सभा में गतिरोध सुलझाने के लिए स्पीकर ने पहल की और अलग-अलग दलों के नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया. स्पीकर का प्रयास है कि सदन चले. सदन में बजट और फ़ाइनेंस बिल पर चर्चा होनी चाहिए. नेताओं से बैठकों में स्पीकर सभी दलों से सदन चलाने का आग्रह कर रहे हैं.

इससे पहले सदन की कार्यवाही से पहले कांग्रेस संसदीय पार्टी की बैठक हुई, जिसमें आगे की रणनीति को लेकर चर्चा हुई.ब्रिटेन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हालिया टिप्पणी को लेकर संसद में गतिरोध की पृष्ठभूमि में पूर्व उपराष्ट्रपति ने लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि संसद की सुचारू कार्यवाही सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की है.

दरअसल, विपक्ष अडानी के मुद्दे पर संसद से सड़क तक हमलावर है, तो बीजेपी ने राहुल गांधी के बयान पर संसद नहीं चलने दे रही है. भाजपा का कहना है कि राहुल गांधी ने भारत और इसके लोकतंत्र का अपमान विदेशी धरती पर किया है, इसलिए उन्‍हें माफी मांगनी चाहिए. इधर, कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी ने जब कुछ गलत कहा ही नहीं, तो वह माफी क्‍यों मांगे. 

इस बीच बजट सत्र खत्‍म होने में अब बस दो सप्‍ताह का समय रह गया है. बजट सत्र 6 अप्रैल को समाप्‍त होने जा रहा है. केंद्र सरकार को बजट पारित कराना है. नियमानुसार, केंद्रीय बजट को वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले, यानी 31 मार्च 2023 से पहले संसद के दोनों सदनों में पारित कराना होगा. ऐसे में सरकार इस सप्ताह कोशिश कर सकती है कि बजट क्लीयरेंस की प्रक्रिया शुरू की जाए.

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