संसद लोकतंत्र की आत्‍मा, इसकी सर्वोच्‍चता में कार्यपालिका या न्यायपालिका का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं : उपराष्‍ट्रपति 

उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश के निरंतर विकास के लिए कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका को ‘‘सहयोगात्मक संवाद करना चाहिए, न कि टकराव की धारणा बनानी चाहिए.’’

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उपराष्ट्रपति ने आपातकाल को स्वतंत्र भारत के इतिहास का ‘‘सबसे काला दौर’’ बताया. (फाइल)
नई दिल्ली :

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने रविवार को कहा कि संसद (Parliament) लोकतंत्र की आत्मा है और इसकी सर्वोच्चता में कार्यपालिका या न्यायपालिका का कोई भी हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है. यहां संविधान दिवस (Constitution Day) कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘संसद की संप्रभुता राष्ट्र की संप्रभुता का पर्याय है और यह अभेद्य है.''

उन्होंने कहा, ‘‘संसद के विशिष्ट क्षेत्र में कोई भी अतिक्रमण संवैधानिक भूल और लोकतांत्रिक सार एवं मूल्यों के प्रतिकूल होगा.'' उन्होंने कहा कि संसद लोकतंत्र की आत्मा है और इसकी सर्वोच्चता में कार्यपालिका या न्यायपालिका का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है.''

उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश के निरंतर विकास के लिए कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका को ‘‘सहयोगात्मक संवाद करना चाहिए, न कि टकराव की धारणा बनानी चाहिए.''

बिना किसी का नाम लिए उन्होंने सरकार के आलोचकों पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कि जब भी देश में कुछ बड़ा होता है, तो कुछ लोग इसकी संस्थाओं को कलंकित और धूमिल करने के कृत्यों में लग जाते हैं.

उपराष्ट्रपति ने 1975 में लगाए गए आपातकाल को स्वतंत्र भारत के इतिहास का ‘‘सबसे काला दौर'' बताया. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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