MP: पेपर लीक की खबरों से बोर्ड परीक्षा के लिए मेहनत कर रहे छात्रों में बढ़ रही निराशा

बड़ा सवाल यह है कि क्या फिर से माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड एग्जाम कराएगा. अगर पेपर नहीं हुए तो लीक हुए पेपर पढ़कर परीक्षा देने वाले छात्र न सिर्फ पास होंगे, बल्कि वह टॉपर्स बन जाएंगे. ऐसे में मेहनत से पढ़ने वाले छात्रों का नुकसान और उनका हतोत्साहित होना तय है.

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मध्य प्रदेश में अब तक हुई 15 परीक्षाओं में से 12 के पेपर ऑनलाइन लीक हो गए हैं.
भोपाल:

मध्य प्रदेश में इस बार बोर्ड की परीक्षा छात्रों के लिए मजाक बन गई हैं. 10वीं-12वीं के पर्चे परीक्षा से 50 मिनट पहले लीक हो रहे हैं. लीक हुए पेपर 299 रुपये में ऑनलाइन बिक भी रहे हैं. राज्य में लगभग 20 लाख छात्र कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा देते हैं. अपनी महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले छात्रों को पेपर लीक की घटनाओं ने हतोत्साहित किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक हुई 15 परीक्षाओं में से 12 के पेपर ऑनलाइन लीक हो गए हैं. 

हालांकि, राज्य सरकार ने पेपर लीक के आरोपों को खारिज किया है. लेकिन प्रश्नपत्रों में कथित गड़बड़ी के आरोप में शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों सहित 35 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है. भले ही माध्यमिक शिक्षा मंडल इस मामले को अफवाह बताकर पल्ला झाड़ता रहा है. बड़ा सवाल यह है कि क्या फिर से माध्यमिक शिक्षा मंडल बोर्ड एग्जाम कराएगा. अगर पेपर नहीं हुए तो लीक हुए पेपर पढ़कर परीक्षा देने वाले छात्र न सिर्फ पास होंगे, बल्कि वह टॉपर्स बन जाएंगे. ऐसे में मेहनत से पढ़ने वाले छात्रों का नुकसान और उनका हतोत्साहित होना तय है.

पेपर लीक की खबरों से छात्रों में निराशा है. भोपाल के एक सरकारी स्कूल के 12वीं कक्षा के छात्र रुद्र सोनी ने कहा, "हम बहुत मेहनत करते रहे हैं. लेकिन अगर हमारे नंबर कम आए तो कौन जिम्मेदार होगा?" वहीं, एक अन्य छात्र कार्तिकेय सिंह ने कहा, "हम साल भर पढ़ते हैं. बोर्ड को प्रश्नपत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. इस तरह के लीक से छात्रों का मनोबल गिरता है."

पिछले हफ्ते धार के एक सरकारी स्कूल में कक्षा 12 के छात्रों का अंग्रेजी का पेपर लीक हो गया था. जिला प्रशासन ने मामले में हस्तक्षेप किया और शिक्षकों, स्कूल क्लर्क को गिरफ्तार कर लिया गया. कलेक्टर प्रियांक मिश्रा ने कहा, "हम कन्या उच्च विद्यालय नालचा गए और सोशल मीडिया पर प्रसारित किए जा रहे प्रश्न पत्र का पता लगाया. यह इस केंद्र से स्कैन किए गए प्रश्न पत्र से मेल खाता था."

सोमवार को दमोह के एक सरकारी स्कूल में 12वीं कक्षा के छात्रों का फिजिक्स का पेपर लीक हो गया. जिला कलेक्टर एस कृष्ण चैतन्य ने हस्तक्षेप किया और स्कूल के चपरासी को गिरफ्तार कर लिया गया. अगले दिन, उमरिया के सेंट जेवियर्स स्कूल में कक्षा 12  के गणित का पेपर लीक हो गया और 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया. जिन विषयों के प्रश्नपत्र लीक हुए उनमें हिंदी, अंग्रेजी, जीव विज्ञान, भौतिकी और गणित शामिल हैं.

10वीं कक्षा के छात्रों के लिए 1 मार्च को निर्धारित एक पेपर परीक्षा से कुछ देर पहले कथित तौर पर सोशल मीडिया पर शेयर हुआ. 11 मार्च को 10वीं कक्षा का गणित का पेपर परीक्षा शुरू होने से 21 मिनट पहले वायरल हो गया. तीन दिन बाद 10वीं कक्षा का संस्कृत का पेपर परीक्षा से 50 मिनट पहले सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा था.

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स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने पेपर लीक के आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा, "हमने वायरल हुए प्रश्न पत्रों की जांच की. वे नकली हैं. यह बच्चों को भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है. हमारे विभाग ने क्राइम ब्रांच को एक अर्जी दी है और इसपर कार्रवाई शुरू कर दी गई है. हम उन सभी को ट्रैक करने जा रहे हैं जो इस पेपर लीक में शामिल हैं. अगर हमारे विभाग या बाहर का कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है, तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे."

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