अल कायदा के कश्‍मीर में ''जिहाद'' वाले बयान के पीछे पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी ISI : सरकारी सूत्र

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बयान में कश्मीर (Kashmir) को शामिल करना पाकिस्तान का उद्देश्य है न कि तालिबान (Taliban)का.

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नई दिल्‍ली:

Afghanistan crisis: अमेरिकी सेना के आखिरी सैनिक के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद आतंकी संगठन अल कायदा (Al Qaeda)ने एक बयान जारी किया है जिसमें उसने कथित इस्लामिक भूमि को मुक्त करने के लिए वैश्विक जेहाद का आह्वान किया गया है. सरकारी सूत्रों का दावा है कि अल कायदा ने इस  बयान में पाकिस्‍तान के इशारे पर कश्मीर को शामिल किया है जबकि चेचन्या और शिनजियांग को हटाया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बयान में कश्मीर (Kashmir) को शामिल करना पाकिस्तान का उद्देश्य है न कि तालिबान (Taliban)का.  उन्‍होंने NDTV से बातचीत में कहा, 'ये अपने आप में दिलचस्प है कि कश्मीर बयान में शामिल है जबकि  और चेचन्या और झिंजियांग नहीं है. केवल पाकिस्तान आईएसआई ही इस तरह अपने पत्ते खेल सकता है. 'उनके अनुसार, 'हालांकि बयान का अभी विश्लेषण किया जा रहा है लेकिन यह भारत के लिए चिंता का एक गंभीर कारण है.' अल कायदा दुनिया में मुसलमानों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहा है और यह मानवता के लिए खतरनाक है और पाकिस्तान अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है," उन्होंने खुलासा किया कि पाकिस्तान स्पष्ट रूप से अयमान अल जवाहेरी की मेजबानी और नियंत्रण में अपना हाथ दिखा रहा है. दिलचस्प बात यह है कि तालिबान के सुप्रीम कमांडर हैबतुल्लाह अखुंदजादा भी पाकिस्तान आईएसआई की हिरासत में है. 

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एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने कहा कि एक अन्य पहलू जिसका सरकार गहराई से अध्ययन कर रही है, वह है ईरान में अल कायदा से सहानुभूति रखने वालों और आतंकवादियों के परिवारों की उपस्थिति. संकेत हैं कि उनमें से कई अब अफगानिस्तान लौट आएंगे. हालांकि यह एक शिया बहुल देश है, लेकिन इतिहास ने दिखाया है कि जहां तक ​​सामरिक फायदे का सवाल है तो शिया और सुन्नी दोनों एक साथ काम कर सकते हैं, कम से कम एक-दूसरे के खिलाफ तो नहीं." इस बीच, अफगानिस्‍तान के घटनाक्रम को लेकर दिल्ली और कश्मीर में लगातार बैठकें हुई हैं जिनमें एलओसी पर घुसपैठ और लॉन्च पैड्स के दोबारा सक्रिय होने की बढ़ती घटनाओं  पर चर्चा की गई. घाटी में सामरिक संचालन के प्रभारी एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, 'लश्कर और जैश दोनों ही बेखौफ हो गए हैं और अधिक से अधिक आतंकवादियों को घाटी में धकेलने के अपने प्रयासों को तेज करने की कोशिश कर रहे हैं. हम लगातार उनके प्रयासों को विफल करने की कोशिश कर रहे हैं.' इस अधिकारी के अनुसार, हमारी एजेंसियों द्वारा इंटरसेप्ट की जा रही बातचीत से संकेत मिलता है कि एलओसी के पार छोड़े गए लॉन्च पैड को फिर से सक्रिय कर दिया गया है. दिल्ली के एक सूत्र ने बताया, "हम इस बात पर कड़ी नजर रख रहे हैं कि तालिबान द्वारा दिए जा रहे सार्वजनिक आश्वासन जमीन पर कैसे काम करते हैं और क्या नया शासन पिछले एक से अलग होगा."

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दिलचस्प बात यह है कि भले ही तालिबान ने पहले कभी कश्मीर में स्पष्ट रुचि नहीं दिखाई और दुनिया को आश्वस्त करता रहा है कि उसने अपनी रणनीति बदल दी है लेकिन तथ्य यह है कि उसने हरकत-उल-अंसार, हरकत-उल-मुजाहिदीन और हरकत उल जिहाद इस्‍लामी सहित कई आतंकी समूहों को अनुमति दी है. हरकत  उल-जिहाद-अल-इस्लामी अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल घाटी में आतंक फैलाने के लिए करेगा. खुफिया एजेंसियों के अनुसार जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर अफगानिस्तान के खोस्त में एक आतंकी शिविर चलाता है, इससे पहले उसने  सोवियत-अफगान युद्ध के बाद हरकत-उल-अंसार का इस्तेमाल करके कश्मीर में जिहाद शुरू करता था. एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, "पाकिस्तान आतंकवादियों को लॉन्च करने और प्रशिक्षित करने के लिए अफगान धरती का उपयोग कर रहा है, इसलिए नई घटनाक्रम से अवगत होना चाहिए जो लगातार सामने आ रहे हैं. "

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