पंजाब में ड्रग्स स्मगलिंग और मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) के आरोपों के बाद कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा (MLA sukhpal khaira) की गिरफ्तारी को लेकर विपक्षी गठबंधन INDIA में दरार सामने आ गई है. इस मामले को लेकर पंजाब में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. जबकि बीजेपी ने भी तंज कसे हैं.
कांग्रेस नेता खैरा ने AAP और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पर 'खून का प्यासा' होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा, "अगर वह मुझे शारीरिक रूप से भी खत्म कर दें, तो मुझे हैरानी नहीं होगी." वहीं, आप सरकार ने दावा किया है कि 2015 के फाजिल्का ड्रग्स केस में 'ताजा सबूत' के आधार पर खैरा की गिरफ्तारी हुई. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने कहा, "कानून सभी के लिए समान है... चाहे पार्टी का कोई भी सदस्य हो".
AAP बनाम कांग्रेस = भारत के लिए बुरी खबर?
इस सब में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जहां आप और कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता खुद को प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखते हैं, वहीं ये पार्टियां राष्ट्रीय मंच पर भागीदार हैं; दोनों इस साल होने वाले पांच राज्यों के चुनावों और 2024 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए को हराने के लिए प्रयासरत विपक्षी गठबंधन INDIA के सदस्य हैं.
आप और कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व भले ही INDIA गुट के लिए खींचतान कर रहा हो, लेकिन खैरा की गिरफ्तारी ने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता को उजागर कर दिया है. ऐसे में चुनाव को लेकर दोनों पार्टियों का एक साथ काम करना, विशेष रूप से चुनावी अभियान के दौरान असंभव नहीं, तो मुश्किल जरूर हो सकता है.
चुनाव से पहले गठबंधन INDIA में ज्यादातर चर्चा सीट-बंटवारे को लेकर हो रही है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या आप और कांग्रेस पंजाब की 13 लोकसभा सीटों के 'सौहार्दपूर्ण ढंग से' बंटवारे के लिए आपसी मतभेद भुला पाएंगे? 'सौहार्दपूर्ण ढंग से' पर जोर इसलिए है, क्योंकि अब तक राज्य के नेताओं ने सीटों के बंटवारे की किसी भी कोशिश का विरोध किया है.
खैरा की गिरफ्तारी महत्वपूर्ण है. वह राज्य में आप के साथ किसी भी गठबंधन के खिलाफ सबसे मुखर लोगों में से एक रहे हैं. वह कांग्रेस के किसान सेल के अध्यक्ष (राष्ट्रीय स्तर पर) भी हैं. इसलिए पार्टी पदाधिकारी और विधायक दोनों हैं. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है.
पंजाब से परे विपक्षी गठबंधन पर प्रभाव?
विपक्षी गठबंधन के लिए सिर्फ पंजाब की सीटें ही फोकस में नहीं हैं. आप और कांग्रेस के बीच दिल्ली में सात और गुजरात में 26 सीटों के बंटवारे की भी उम्मीद थी. यानी 46 सीटों का बंटवारा होना था.
अहम बात ये है कि बीजेपी ने दिल्ली और गुजरात में 33 में से 33 सीटें और पंजाब में 13 में से चार सीटें जीतीं. कांग्रेस ने भले ही पंजाब में 8 सीटों पर जीत हासिल की हो, लेकिन उसके बाद से पार्टी को पिछले साल के राज्य चुनाव में भी AAP के हाथों हार का सामना करना पड़ा. आप और कांग्रेस अगर खैरा की गिरफ्तारी से जल्द उबर नहीं पाईं और सहयोग नहीं कर सकीं, तो बीजेपी पंजाब और दिल्ली में अधिकांश सीटें जीतने के लिए सबसे मजबूत पार्टी साबित होगी.
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