अब ट्यूबरोक्लोसिस (टीबी) के मरीज़ को व्यक्तिगत तौर पर कोई शख्स, संस्थान या जनप्रतिनिधि भी गोद ले पाएंगे. कोई चाहे तो ब्लॉक, डिस्ट्रिक स्तर या फिर किसी एक मरीज़ को गोद ले सकता है. यानि ब्लॉक या जिले में जितने भी मरीज हों सबको कोई एक ही व्यक्ति गोद ले ले या फिर वो किसी एक मरीज को गोद ले. लोक भागीदारी को बढ़ाने के मद्देनजर कल " पीएम टीबी मुक्त भारत अभियान" का राष्ट्रपति मुर्मू शुरुआत करेंगी. 2030 तक भारत को टीबी मुक्त करने का सरकार का लक्ष्य है.
एक मरीज़ को गोद लेने पर हर महीने 1000 रु कीमत वाला न्यूट्रिएंट्स किट मरीज को भेजना होगा. इस किट में न्यूट्रीशन वैल्यू के हिसाब से महीने भर का पोषण आहार होगा, जिसकी जानकारी वेबसाइट पर मौजूद होगी कि क्या क्या और कितनी मात्रा में होना चाहिए. कभी कभार उस मरीज से कॉल करके हाल चाल भी लेना इसके उद्देश्य में शामिल है.
न्यूट्रिश्नल सपोर्ट के अलावा गोद लिए हुए मरीज को एडिश्नल सपोर्ट भी किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर कोई जांच अगर उस मरीज़ को करवानी है, तो गोद लेने वाला शख्स उसे धन राशि दे सकता है. एक मरीज़ को कम से कम सालभर और अधिकतम 3 साल तक गोद लिया जा सकता है.
मरीज़ को गोद लेने के लिए NIKSHAY 2.0 वेब पोर्टल पर जाकर मरीज़ के यूनिक नंबर ( जिसमें उसके नाम या एड्रेस जिससे आइडेंटिटी पता चलती हो, वो जानकारी नहीं होगी) पर क्लिक करने पर कोई भी टीबी डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर से कनेक्ट हो जाएंगे. फिर वो अधिकारी आपको उस मरीज़ की डिटेल्स देंगे और कनेक्ट करवाएंगे. लेकिन वेबसाइट पर गोद लेने वाले को अंडरटेकिंग देनी होगी कि वो मरीज़ की आइडेंटिटी रिवील नहीं करेंगे.
फिलहाल देश में करीब 13 लाख 51 हजार टीबी के मरीज़ हैं. हर साल लगभग देश में 20 से 25 लाख टीबी के मरीज़ रिपोर्ट होते हैं. अनुमान के मुताबिक लगभग 83% ठीक हो जाते हैं. फिलहाल देश के 13 लाख 51 हजार टीबी के मरीजों में से करीब 9 लाख ने गोद लिए जाने को लेकर सहमति दी है.
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