वर्चुअली नहीं, व्यक्तिगत रूप से हों पेश : संसदीय पैनल ने फेसबुक से कहा

इससे पहले संसदीय समिति ने शुक्रवार को ट्विटर इंडिया से कहा था कि उसे भारतीय आईटी कानूनों और नियमों का पालन गंभीरता से करना होगा.

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पैनल ने शुक्रवार को ट्विटर के अधिकारियों से 90 मिनट से अधिक समय तक पूछताछ की.
नई दिल्ली:

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना और प्रौद्योगिकी से जुड़े मामलों पर संसदीय स्थायी समिति फेसबुक के अधिकारियों को नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग को रोकने के लिए कंपनी की नीतियों की जांच करते समय "व्यक्तिगत रूप से" पेश होने का निर्देश देगी. यह जानकारी सूत्रों ने दी है.इससे पहले संसदीय समिति ने शुक्रवार को ट्विटर इंडिया से कहा था कि उसे भारतीय आईटी कानूनों और नियमों का पालन गंभीरता से करना होगा. से 90 मिनट से अधिक समय तक चली पूछताछ के दौरान समिति ने ट्विटर के अधिकारियों से सोशल मीडिया बिचौलियों के लिए नये नियमों को पूरी तरह से लागू करने समते कई मुद्दों पर सवाल पूछे. समिति अब इसी तरह की इन-पर्सन मीटिंग के लिए Google, YouTube और अन्य बड़ी कंपनियों को भी बुलाएगा. 

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सूत्रों के मुताबिक फेसबुक के प्रतिनिधि कंपनी की कोविड-विरोधी नीति का हवाला देते हुए व्यक्तिगत रूप से पेश होने को तैयार नहीं थे. हालांकि, शक्तिशाली पैनल के अध्यक्ष शशि थरूर ने अब इस पर जोर दिया है क्योंकि संसदीय नियम आभासी बैठकों पर रोक लगाते हैं.

थरूर ने कहा है कि यदि आवश्यक हो तो संसद सचिवालय उन्हें टीकाकरण की व्यवस्था कर सकता है. सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के कई सांसदों वाले पैनल ने शुक्रवार को ट्विटर से "भारत में भारत के कानूनों का पालन करने" के लिए कहा. पैनल ने पूछा कि फेसबुक ने नए आईटी नियमों के अनुसार भारत में पूर्णकालिक मुख्य अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति क्यों नहीं की?

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सूत्रों ने कहा कि सांसदों द्वारा पूछे गए सवालों के ट्विटर की प्रतिक्रिया "अस्पष्ट" थी. ट्विटर के एक प्रवक्ता ने बाद में कहा कि वह पारदर्शिता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता के हमारे सिद्धांतों के अनुरूप "नागरिकों के अधिकारों की ऑनलाइन सुरक्षा" पर समिति के साथ काम करने के लिए तैयार है. शुक्रवार को ट्विटर के साथ हुई पूछताछ के बाद शशि थरूर ने बैठक को लेकर मीडिया में आई खबरों पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की थी. थरूर ने कहा था कि नियमों में यह स्पष्ट है कि समिति की कार्यवाही को प्रेस के साथ साझा नहीं किया जाना चाहिए.

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ट्विटर इंडिया से ये पूछताछ ऐसे वक्त पर हुई जब सरकार की ने आईटी नियमों और ट्विटर के रुख को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. पवन दुग्गल, आईटी लॉ एक्सपर्ट कहते हैं कि हाल की ट्विटर कंट्रोवर्सी बहुत सारे सवाल खड़ी करती है. क्या एक सर्विस प्रोवाइडर होने के नाते आप आपने टर्म्स को किसी सरकार की डिक्टेट कर सकते हैं ? क्या आप किसी राष्ट्र में ऑपरेट कर सकते हैं बिना उसके कानून का पालन किये बगैर?

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