UCC को लेकर विपक्ष ही नहीं, BJP के सहयोगियों में भी कंफ्यूज़न, केंद्र की जल्दबादी पर उठ रहे सवाल

पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी के सहयोगी दल ही नहीं, यूनिफॉर्म सिविल कोड पर पहले समर्थन देने वाली बीएसपी जैसी पार्टियां भी अब बीजेपी की जल्दबाजी पर सवाल उठा रही हैं.

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पीएम मोदी के बयान के बाद समान नागरिक संहिता पर नई बहस छिड़ गई है.

नई दिल्ली:

समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को बीजेपी (BJP) देश में जल्द लागू करना चाहती है, लेकिन आदिवासियों के मुद्दे पर यूसीसी बिल का विरोध करने वाली विपक्षी पार्टियों के अलावा बीजेपी के अपने ही सहयोगी दलों की कई आपत्तियां हैं. यूसीसी के मामले पर सोमवार को संसदीय समिति की बैठक हुई. इसमें कुल 31 दलों में सिर्फ 17 दलों के सांसद शामिल हुए. सूत्रों के हवाले से खबर आई कि बैठक की अध्यक्षता कर रहे बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी (Shushil Modi) ने जनजातियों और आदिवासियों को इससे बाहर रखने की वकालत की. बीजेपी के रुख में इस बदलाव की वजह क्या पूर्वोत्तर राज्यों के उसके सहयोगी ही हैं?

दरअसल, नगालैंड में बीजेपी की सहयोगी नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP),मेघालय में नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) और मीजो नेशनल फ्रंट को लगता है कि यूसीसी लागू होने के बाद आदिवासी बहुल इन राज्यों के विशेष दर्जा और उनकी संस्कृति पर विपरीत असर पड़ेगा. इसलिए ये पार्टियां संविधान की धारा 371 का हवाला देकर यूसीसी का विरोध कर रही हैं, जिसके तहत इन राज्यों को कई विशेषाधिकार मिले हैं.

कोनरॉड संगमा ने किया विरोध
मेघालय के सीएम कोनरॉड संगमा ने यूसीसी का विरोध किया है. उन्होंने कहा, "यूसीसी के मुद्दे पर सभी भागीदारों के बीच सारे तथ्यों को देखने हुए बहस की जरूरत है. क्योंकि ये एक जटिल विषय है. जब तक यूसीसी का वास्तिविक खाका हमारे सामने नहीं आता है, तब तक पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए इसे स्वीकार करना बहुत मुश्किल है."

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बीजेपी की जल्दबाजी पर उठ रहे सवाल
पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी के सहयोगी दल ही नहीं, यूसीसी पर पहले समर्थन देने वाली बीएसपी जैसी पार्टियां भी अब बीजेपी की जल्दबाजी पर सवाल उठा रही हैं. बीएसपी के सांसद और संसदीय दल के सदस्य मलूक नागर कहते हैं कि इस मुद्दे पर बीजेपी को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.

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मलूक नागर कहते हैं, "बीजेपी को हड़बड़ी में यूनिफॉर्म सिविल कोड को नहीं लाना चाहिए. सभी धर्मों और आदिवासियों की राय लेकर ही इसे लागू करना चाहिए. हम इसी पक्ष में हैं."

यूसीसी को लेकर सियासी घमासान जारी
उधर, कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों और बीजेपी के बीच यूसीसी को लेकर सियासी घमासान जारी है. विपक्षी पार्टियों का कहना है कि आम चुनाव नजदीक हैं, लिहाजा यूसीसी जैसे मुद्दे को उछाला जा रहा है. वहीं, बीजेपी विपक्षी दलों पर तुष्टिकरण का आरोप लगा रही है. इस बीच विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर 13 जुलाई तक लोगों के सुझाव मांगे हैं. अब तक 19 लाख से ज्यादा सुझाव आ भी चुके हैं.

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20 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र
इस बीच संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत 20 जुलाई से हो रही है. राम मंदिर और धारा 370 के बाद बीजेपी के लिए समान नागरिकता संहिता एक बड़ा मुद्दा है. लिहाजा सबके मन में सवाल यही है कि क्या बीजेपी संसद के मॉनसून सत्र में यूसीसी विधेयक ला पाती है या नहीं.

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