अयोध्‍या ही नहीं, 1000 Km दूर एक और राम मंदिर का हुआ उद्घाटन, 150 मजदूरों ने 7 साल में किया तैयार

Odisha Ram Mandir Inauguration : ओडिशा में स्थित यह मंदिर परियोजना 2017 में शुरू की गई. 150 से अधिक श्रमिकों ने इसके निर्माण में सात वर्षों से अधिक वक्‍त तक अथक मेहनत की है. 

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Odisha Ram Mandir : स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, मंदिर के पर्यटन की दृष्टि से उभरने की भी उम्‍मीद की जा रही है. 
नई दिल्ली:

ऐतिहासिक शहर अयोध्या (Ayodhya) से 1,000 किमी से अधिक दूरी पर आज एक और राम मंदिर (Ram Mandir) का भव्‍य उद्घाटन हुआ. यह मंदिर ओडिशा में समुद्र तल से करीब 1,800 फीट ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एक ओर अयोध्‍या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्‍ठा की तो दूसरी ओर नयागढ़ के फतेगढ़ गांव में भगवान राम को समर्पित 73 फुट ऊंचे मंदिर का उद्घाटन किया गया. 

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 165 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का निर्माण राज्य के ग्रामीणों और श्रद्धालुओं के दान के माध्यम से किया गया है. इसमें से फतेगढ़ के निवासियों ने मंदिर के निर्माण के लिए आवश्यक धनराशि का आधा योगदान दिया है. 

प्रमेय की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर परियोजना 2017 में शुरू की गई. 150 से अधिक श्रमिकों ने इसके निर्माण में सात वर्षों से अधिक वक्‍त तक अथक मेहनत की. 

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, पहाड़ पर मौजूद इस मंदिर के पर्यटन की दृष्टि से उभरने की भी उम्‍मीद की जा रही है. 

ओटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रयास की जड़ें 1912 के 'नबकलेबर' से मिलती हैं, जो भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की लकड़ी की मूर्तियों का पुनर्निर्माण है. फतेगढ़ ने लकड़ी के लिए पवित्र वृक्ष प्रदान कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जो अनुष्ठान का हिस्सा था. 

इस ऐतिहासिक संबंध का सम्मान करने और इस घटना को मनाने के लिए ग्रामीणों ने श्री राम सेवा परिषद समिति का गठन किया, जिसने मंदिर निर्माण का नेतृत्व किया. 

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बारिश के लिए यहां पर की जाती थी प्रार्थना 

ओटीवी के अनुसार, मंदिर के स्थान का समृद्ध इतिहास है. स्थानीय लोग बताते हैं कि सूखे के समय बारिश के लिए इसी स्थान पर प्रार्थना की जाती थी, इसे गिरि गोवर्धन कहा जाता था. 

ओडिया वास्‍तुकला शैली में बना है मंदिर 

मंदिर का निर्माण पारंपरिक ओडिशा की वास्तुकला शैली में किया गया है. यह प्रतिष्ठित तारा तारिणी और कोणार्क के  मंदिरों की याद दिलाता है. मंदिर का गर्भगृह 65 फीट की ऊंचाई तक जाता है. मुख्य मंदिर के चारों ओर सूर्य देव, भगवान शिव, भगवान गणेश और भगवान हनुमान को समर्पित चार और मंदिर हैं. 

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