अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने सोमवार को मौजूदा इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्रणाली को मजबूत करने के लिए कड़ा कदम उठाया है, जिसके तहत किसी भी गैर-अरुणाचली के लिए राज्य में प्रवेश करने से पहले परमिट प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया गया है. राज्य के मुख्यमंत्री ने इटानगर में शीर्ष सरकारी अधिकारियों और अखिल अरुणाचल प्रदेश छात्र संघ (AAPSU) के नेताओं के साथ एक संयुक्त बैठक की. इस दौरान सीएम खांडू ने राज्य में गैर-स्थानीय प्रवासियों के अवैध प्रवेश और लंबे समय तक रहने को रोकने के लिए आईएलपी प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "हमारा मुख्य उद्देश्य हमारी स्वदेशी जनजातियों को बाहरी घुसपैठ से बचाना है और हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं."
खांडू ने बताया कि राज्य सरकार आंतरिक रूप से आईएलपी प्रणाली को मजबूत करने की तैयारी कर रही है. उन्होंने कहा कि राज्य के प्रमुख छात्र संगठन से इनपुट लेना आवश्यक है. एएपीपीएसयू के अध्यक्ष दोजी ताना तारा ( Dozi Tana Tara) की अध्यक्षता में एक पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से संघ द्वारा किए गए सर्वेक्षण और वर्तमान प्रणाली को मजबूत करने के तरीकों और साधनों के बारे में विस्तार से बताया गया.
आईएलपी नियमों का उल्लंघन
अरुणाचल प्रदेश पुलिस ने हाल ही में एक अभियान के दौरान राज्य की राजधानी क्षेत्र में आईएलपी नियमों का उल्लंघन करने वाले 155 लोगों की पहचान की. इन लोगों को राजधानी क्षेत्र के गंगा गांव, चिम्पू और गंगा बाजार क्षेत्र से पकड़ा गया. राज्य सरकार ने लोगों से अवैध अप्रवासियों की पहचान करने के लिए पुलिस के साथ सहयोग करने का आग्रह किया और उनसे अनुरोध किया कि वे किसी भी बाहरी व्यक्ति या अप्रवासी की सूचना पुलिस को दें.
क्या होता है आईएलपी
बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत आईएलपी एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है, जो किसी भारतीय नागरिक को सीमित अवधि के लिए और एक विशिष्ट उद्देश्य के साथ उस राज्य में जाने की अनुमति देता है, जहां यह प्रणाली लागू की गई है. आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू था. मेघालय में भी आईएलपी लागू करने के लिए आंदोलन हो रहे हैं.