संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से कहा है कि यदि कोई अभ्यर्थी किसी भी कारण से निर्धारित तिथि पर परीक्षा में शामिल होने में विफल रहता है, जिसमें बीमारी या दुर्घटना के कारण परीक्षा देने में असमर्थता शामिल है, तो फिर से परीक्षा आयोजित करने का कोई प्रावधान नहीं है.शीर्ष अदालत तीन उम्मीदवारों की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिन्होंने यूपीएससी-2021 प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी लेकिन कोविड-19 संक्रमित पाए जाने के बाद मुख्य परीक्षा के सभी पेपरों में उपस्थित नहीं हो सके और अब परीक्षा में बैठने के लिए एक अतिरिक्त मौका दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
यूपीएससी ने शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर कर कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में आयु में छूट और प्रतिपूरक / अतिरिक्त प्रयास के संबंध में कोई भी निर्णय एक “नीतिगत मामला” है जो कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के दायरे में आता है.उसने कहा, “आयोग आमतौर पर एक वर्ष के दौरान 13 परीक्षाओं के अलावा कई भर्ती परीक्षाएं आयोजित करता है. इन परीक्षाओं के संबंध में, यदि कोई उम्मीदवार किसी भी बीमारी/दुर्घटना सहित किसी भी कारण से निर्धारित तारीख पर परीक्षा में शामिल होने में विफल रहता है, जिससे वह परीक्षा देने में असमर्थ हो जाता है, तो फिर से परीक्षा आयोजित करने का कोई प्रावधान नहीं है.”
आयोग ने कहा, “अतीत में, आयोग ने समान परिस्थितियों में कोई पुन: परीक्षा आयोजित नहीं की है.”हलफनामे में कहा गया है कि यूपीएससी भारत सरकार द्वारा कार्मिक मंत्रालय में सालाना बनाए गए परीक्षा के नियमों के अनुसार ही सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करता है.
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