"विवाद का कोई औचित्य ही नहीं" : जातीय गणना के खिलाफ SC में याचिका पर बिहार CM नीतीश कुमार

बिहार में जातिगत गणना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. जातिगत गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस मुद्दे पर बिहार के सभी दलों ने मिलकर प्रस्ताव दिया था
पटना:

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जातिगत सर्वे को स्थगित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में दायर याचिका पर कहा कि ये उनकी समझ से परे है क्योंकि ये सबके विकास के लिए है. उन्होंने कहा कि याचिका का कोई औचित्य ही नहीं है. हम जनगणना नहीं करा रहे हैं हम जाति आधारित गणना करा रहे हैं. हम तो चाहते थे कि देश में भी जाति आधारित जनगणना हो लेकिन, केंद्र सरकार ने इससे इनकार कर दिया. केंद्र सरकार ने हमें परमिशन दिया है कि हम जाति आधारित गणना करा सकते हैं. इससे राज्य में आर्थिक और सामाजिक स्थिति पता चल जाएगा और उसके मुताबिक विकास किया जा सकेगा. 

हालांकि केंद्र सरकार ने इससे पहले भी जाति आधारित जनगणना किया था लेकिन, उसे जारी नहीं कर पाए थे. उसमें कई गलतियां रह गई थी. लेकिन इसबार हम लोग काफी बेहतर तैयारी से कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार के सभी दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था. 

बताते चलें कि बिहार में जातिगत गणना का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. जातिगत गणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. जातिगत गणना के खिलाफ दायर याचिका में 6 जून को राज्य सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है. बिहार निवासी अखिलेश कुमार ने ये याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 20 जनवरी को करेगा.

याचिका में बिहार सरकार को जातिगत गणना से रोकने की भी मांग है. इसमें कहा गया है कि बिहार राज्य की अधिसूचना और फैसला अवैध, मनमाना, तर्कहीन, असंवैधानिक और कानून के अधिकार के बिना है. भारत का संविधान वर्ण और जाति के आधार पर भेदभाव पर रोक लगाता है. जाति संघर्ष और नस्लीय संघर्ष को खत्म करने के लिए राज्य संवैधानिक दायित्व के अधीन है. 

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