महाराष्ट्र चुनाव में NGO vs RSS, जानिए कांग्रेस-बीजेपी के गठबंधन के लिए क्या कर रहे

NGO vs RSS In Maharashtra Election: महाराष्ट्र का संग्राम तीखा होता जा रहा है. भाजपा से टक्कर लेने के लिए कांग्रेस, शरद पवार और उद्धव ठाकरे की पार्टियां एनजीओ की मदद ले रही हैं. जानिए ये क्या कर रहे...

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NGO VS RSS In Maharashtra Election: महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों पूरा जोर लगा रहे हैं.

NGO vs RSS In Maharashtra Election: महाराष्ट्र की राजनीति हर दिन बड़ी दिलचस्प करवट लेती दिख रही है. दोनों गठबंधनों महाविकास अघाड़ी (MVA) और महायुति के लिए ग़ैर सरकारी और नॉन पॉलिटिकल संस्थाएं ज़मीन पर साइलेंट प्रचार कर रही हैं. एक तरफ मुस्लिम मतदाताओं (Muslim Voters) को साथ रखने की कोशिश हो रही है तो दूसरी ओर हिंदू मतदाताओं (Hindu Voters) में एकता लाने की. महाराष्ट्र में जंग दो गठबंधनों में है लेकिन सबसे दिलचस्प इन गठबंधनों के लिए हो रहे प्राइवेट प्रचार हैं. 

मुस्लिम मतदाताओं पर नजर

कांग्रेस (Congress), उद्धव गुट शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी के उम्मीदवारों के लिए सौ से ऊपर नॉन पॉलिटिकल ग़ैर-सरकारी संस्थाए (NGO) वोट मांग रही हैं. क़रीब पंद्रह हज़ार ऐक्टिव वॉलंटियर वाली संस्था अंजुमन महाराष्ट्र में मुस्लिम मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही है. ये वोटरों से महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का समर्थन करने का आग्रह कर रहे हैं. ऐसी और कई संस्थाएं मैदान में घर-घर घूम रही हैं.

हिंदू वोटरों की एकता

तो वहीं, लोकसभा चुनाव में बुरा प्रदर्शन देख चुकी बीजेपी (BJP), शिंदे शिवसेना और अजित पवार गुट एनसीपी वाली महायुति के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS), विश्व हिंदू परिषद, आर्ट ऑफ़ लिविंग जैसी संस्थाएं भी डोर टू डोर पहुंच रही हैं. विधानसभा चुनाव के लिए दोनों ही पक्ष समर्थन जुटाने और अपने-अपने मतदाता आधार को सुरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. महाराष्ट्र में क़रीब दस हज़ार वॉलंटियर वाली आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था हर रोज़ नुक्कड़ नाटक के ज़रिये मतदाताओं तक पहुंच रही है.

विचारों का टकराव

एमवीए समर्थित एनजीओ और आरएसएस के बीच टकराव मूलतः विचारधाराओं का टकराव है. एक तरफ, एमवीए विभिन्न माध्यमों से मुस्लिम वोटों को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है, जबकि अलग-अलग 65 सहयोगी संगठन के ज़रिये आरएसएस की “सजग रहो” रणनीति का उद्देश्य एमवीए की तथाकथित "वोट बैंक राजनीति" का मुकाबला करना है. महाराष्ट्र की महा लड़ाई में ये तस्वीर भी अनोखी है जहां पॉलिटिकल जंग में नॉन पॉलिटिकल, ग़ैर सरकारी संस्थाओं को भी वोटरों के लिए उतरना पड़ रहा है!

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