सुप्रीम कोर्ट पहुंचे न्यूजक्लिक फाउंडर, दिल्ली HC के गिरफ्तारी को वैध बताने वाले फैसले को दी चुनौती

वेब पोर्टल न्यूजक्लिक (Newsclick) के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ ने गिरफ्तारी को वैध बताने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए जल्द सुनवाई की मांग की है.

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न्यूजक्लिक के फाउंडर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
नई दिल्ली:

वेब पोर्टल न्यूजक्लिक के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ (Newsclick Case) ) ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. गिरफ्तारी को वैध बताने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए जल्द सुनवाई की मांग की गई है.दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने वेब पोर्टल न्यूजक्लिक के फाउंडर प्रबीर पुरकायस्थ और एचआर हेड अमित चक्रवर्ती को बड़ा झटका दिया था. कोर्ट ने शुक्रवार को UAPA के तहत दोनों की गिरफ्तारी और उसके बाद पुलिस हिरासत में भेजे जाने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती ने दलील दी थी कि जब उन्हें पकड़ा गया तो गिरफ्तारी का आधार नहीं बताया गया और निचली अदालत ने उनके वकीलों की अनुपस्थिति में हिरासत में भेजने का आदेश पारित किया था.

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दिल्ली HC ने दी थी ये दलील

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को खारिज करते हुए कहा था कि यूएपीए लिखित आधार प्रस्तुत करने को अनिवार्य नहीं करता है. यह केवल गिरफ्तारी के कारणों के बारे में आरोपी को 'सूचित' करने की बात करता है.अदालत ने कहा कि यह 'सलाह' होगी कि पुलिस 'संवेदनशील सामग्री' को ठीक तरीके से पेश करने के बाद आरोपी को गिरफ्तारी का आधार लिखित रूप में प्रदान करे. याचिकाओं को खारिज करते हुए जस्टिस तुषार राव गेडेला ने कहा था कि गिरफ्तारी के संबंध में कानूनी या संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन या कोई "प्रक्रियात्मक खामी" नहीं है और हिरासत में भेजने का आदेश कानून सम्मत है.

कानून के तहत हुई गिरफ्तारी-HC

पोर्टल के संस्थापक की याचिका पर आदेश पारित करते हुए अदालत ने कहा था कि याचिका में पुख्ता आधार नहीं होने के कारण लंबित आवेदनों सहित इसे खारिज किया जाता है. कोर्ट ने कहा था कि पूरे मामले की सही परिप्रेक्ष्य में जांच करने के बाद अब तक ऐसा प्रतीत होता है कि गिरफ्तारी के बाद याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी के आधारों के बारे में यथाशीघ्र सूचित कर दिया गया था और इस तरह, यूएपीए की धारा 43बी के तहत कोई प्रक्रियात्मक खामी नहीं दिखती है कोर्ट ने कहा था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 22(1) के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं हुआ है और गिरफ्तारी कानून के तहत है.

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