प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा है कि नई शिक्षा नीति (New Education Policy) देश के भविष्य के लिहाज से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक साल पूरा होने पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'बीते एक वर्ष में सभी महानुभावों, शिक्षकों, नीतिकारों ने इसे धरातल पर उतारने में बहुत मेहनत की है.ये महत्वपूर्ण अवसर ऐसे समय में आया है, जब देश आजादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहा है. ऐसे में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इंप्लीमेंटेशन आजादी के अमृत महोत्सव का प्रमुख हिस्सा बन गया है.' उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति युवाओं को ये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है. जिस आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के प्रोग्राम को अभी लॉन्च किया गया है, वो भी हमारे युवाओं को फ्यूचर ओरिएंटेड' बनाएगा, इस मौके पर उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक साल पूरा होने पर सभी देशवासियों, विशेषकर विद्यार्थियों को शुभकामनाएं प्रेषित कीं.
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प्रधानमंत्री ने कहा कि भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानी आज कैसी शिक्षा दे रहे है, कैसी दिशा दे रहे हैं. 21वीं सदी का युवा अपनी व्यवस्थाएं, अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है. इसलिए, उसे 'एक्सपोजर' चाहिए, उसे पुराने बंधनों, पिंजरों से मुक्ति चाहिए.उन्होंने कहा कि इस युवा पीढ़ी को जब इनके सपनों के अनुरूप वातावरण मिलेगा, तो इनकी शक्ति कितनी ज्यादा बढ़ जाएगी. इसलिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति युवाओं को ये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके और उनके हौंसलों के साथ है.राष्ट्रीय शिक्षा नीति को हर तरह के दबाव से मुक्त रखा गया है. जो खुलापन नीति के स्तर पर है, वही खुलापन छात्रों को मिल रहे विकल्पों में भी है. अब छात्र कितना पढ़ें, कितने समय तक पढ़ें, ये सिर्फ संस्थाएं तय नहीं करेंगी, इसमें छात्रों की भी सहभागिता होगी.
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पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि आधुनिक टेक्नोलॉजी पर आधारित Academic Bank of credit सिस्टम से इस दिशा में विद्यार्थियों के लिए क्रांतिकारी बदलाव आने वाला है. अब हर युवा अपनी रुचि और सुविधा से कभी भी एक स्ट्रीम का चयन कर सकता है, छोड़ सकता है. Multiple entry & exit की जो व्यवस्था आज शुरू हुई है, इसने विद्यार्थियों को एक ही श्रेणी और एक ही कोर्स में जकड़े रहने की मजबूरी से मुक्त कर दिया है. आज बन रही संभावनाओं को साकार करने के लिए हमारे युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे होना पड़ेगा. हेल्थ, डिफेंस, इनफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नालजी, देश को हर दिशा में समर्थ और आत्मनिर्भर होना होगा. आत्मनिर्भर भारत का ये रास्ता स्किल डेवलपमेंट और तकनीक से होकर जाता है.पीएम ने कहा, 'मुझे खुशी है कि 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज, 5 भारतीय भाषाओं- हिंदी-तमिल, तेलुगू, मराठी और बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं. इंजीनिरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल भी डेवलप किया जा चुका है.'