केंद्र ने SC को बताया, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल तैयार, संसद के मानसून सत्र में किया जाएगा पेश

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि सरकार जुलाई में संसद के आगामी मानसून सत्र में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक पेश करेगी.

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वाट्सएप ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लोग उसकी 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी से बाध्य नहीं
नई दिल्‍ली:

वाट्सएप प्राइवेसी पॉलिसी मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल तैयार है. सरकार जुलाई में शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में डेटा प्रोटेक्शन बिल पेश करेगी. इसके बाद पांच जजों के संविधान पीठ ने मामले की सुनवाई टाल दी. अब इस मामले की सुनवाई अगस्त के पहले हफ्ते में होगी. मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकेटरमणी ने कहा कि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल तैयार हो चुका है. जुलाई में शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में  डेटा प्रोटेक्शन बिल पेश किया जाएगा. इस पर संविधान पीठ ने कहा कि मामले को रजिस्ट्री सीजेआई के समक्ष रखेगी. इसकी सुनवाई अगस्त के पहले हफ्ते में होगी. 
  
वाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी 2021 के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में  पांच जजों के संविधान पीठ ने सुनवाई की. यह मामला जस्टिस के. एम. जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सी. टी. रवि कुमार की बेंच में सुना जा रहा है. इससे पहले एक फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सएप से इस अंडरटेकिंग का व्यापक प्रचार करने को कहा कि लोग उसकी 2021 की पॉलिसी मानने को फिलहाल बाध्य नहीं हैं.

वाट्सएप ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि लोग उसकी 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी से बाध्य नहीं हैं. ना ही नए डेटा कानून आने तक एप का काम प्रभावित नहीं होगा. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस आश्वासन को नोट किया कि मार्च में संसद में नया डेटा प्रोटक्शन बिल लाया जाएगा. पांच जजों के संविधान पीठ ने आदेश दिया था कि पांच नेशनल अखबारों में कम से कम दो बार फुल पेज विज्ञापन दिया जाए. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि संसद के अगले सत्र में एक नया विधेयक पेश किया जाएगा. तब तक इंतजार किया जाना चाहिए. 

2018 में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फेसबुक और वाट्सएप  कंपनियों से पूछा था कि वो क्या-क्या जानकारियां आपस में और तीसरे पक्ष से साझा करते है. मामले की सुनवाई के दौरान वाट्सएप की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि वो मोबाइल नंबर, व्हाट्सएप में कब रजिस्टर्ड हुए और किस तरह का मोबाइल एप ऑपरेटर करते है? इसके अलावा और कोई जानकारी साझा नहीं करते. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा था कि 31 जुलाई को उन्होंने श्री कृष्णा कमिटी बनाई है. कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद तय करेंगे कि कानून लाना है या नहीं. भारत के नागरिकों के साथ दूसरे देशों के नागरिकों से भेदभाव नहीं किया जा सकता. देश में भी वही प्राइवेसी पॉलिसी हो जो दूसरे देशों में है.  

इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं, बल्कि विधायिका के हस्तक्षेप की जरूरत है. निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताने के नौ जजों के संविधान पीठ के फैसले के बाद वाट्सएप का डाटा फेसबुक को शेयर करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर पांच जजों के संविधान पीठ में सुनवाई हुई थी. इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने निजी कंपनियों के लोगों के पर्सनल डाटा शेयर करने का विरोध किया था. 

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केंद्र ने कहा कि डाटा शेयर करना जीने के अधिकार के खिलाफ है. पर्सनल डेटा संविधान के आर्टिकल 21 राइट टू लाइफ  यानी जीने के अधिकार का अभिन्न - टेलीकाम कंपनियां या सोशल नेटवर्किंग कंपनियां आसानी से किसी उपभोक्ता का डेटा तीसरे पक्ष शेयर नहीं कर सकती और अगर कंपनियां उपभोक्ता के करार का उल्लंघन करती हैं, तो सरकार को दखल देना होगा और कानून बनाना होगा.

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