NEET पेपर लीक केस : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- दोबारा परीक्षा तभी होगी.... जानें बहस के दौरान और क्या कुछ कहा

NEET पेपर लीक मामले को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कई अहम सवाल पूछे. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 131 छात्र दोबारा परीक्षा चाहते हैं.

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नई दिल्ली:

NEET पेपर लीक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में CJI की बेंच सुनवाई कर रही है. इस सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ की बेंच 40 से ज्यादा याचिकाओं पर दलीलें सुन रहे हैं. मामले की सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर 1 लाख 8 हजार छात्रों को दाखिला मिलता है तो बाकि 22 लाख छात्रों को दाखिला नहीं मिलता. ऐसे में इसका मतलब ये तो नहीं कि पूरी परीक्षा को रद्द कर दिया जाए? कोर्ट का ये भी कहना है दोबारा परीक्षा के लिए ठोस आधार जरूरी है कि बड़े स्तर पर परीक्षा में गड़बड़ी हुई.आइये जानते हैं कि इस सुनवाई के दौरान क्या कुछ दी गईं हैं दलीलें....

CJI ने जब पूछा सेंटर के चुनाव पर सवाल  

CJI: जब उम्मीदवार आवेदन करता हैं तो उन्हें शहर का या केंद्र का चयन करना होगा?
NTA: छात्र केवल शहर का चुनाव कर सकते है।
CJI: छात्र केवल शहर बदल सकते है। इसका मतलब कोई भी उम्मीदवार केंद्र का चयन नहीं कर सकता और केंद्र का आवंटन सिस्टम के द्वारा ही दिया जाता है।
NTA: परीक्षा से केवल दो दिन पहले केंद्र आवंटन किया जाता है। जिससे कोई य़ह नहीं जान पाता कि कौन सा केंद्र छात्र को आवंटित किया जाएगा?

अब ग्रेस मार्क्स पर बहस क्यों कर रहे हैं - CJI चंद्रचूड़

CJI : हमने ग्रेस मार्क्स बरकरार रखे थे. लेकिन फिर भी इसे वापस ले लिया गया था. अब आप इस पर बहस क्यों कर रहे हैं?

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NTA : देश भर के टॉप 100 छात्रों का एनालिसिस हुआ है, टॉपर्स अलग अलग सेंटर के हैं. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पायथन सॉफ्टवेयर पेपर लीक की गड़बड़ी नहीं पकड़ सकता क्योंकि IIT ने एनालिसिस के लिए बेसिक नंबर 23 लाख रखा जबकि इसे 1 लाख 8 हजार रखना चाहिए था. इतने बड़े आंकड़े में गलती नहीं पकड़ी जा सकती है. 

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गड़बड़ियां बड़े सूक्ष्म स्तर पर हुई हैं - याचिकाकर्ता के वकील 

याचिकाकर्ता के वकील : IIT मद्रास की रिपोर्ट कहती है कि 23 लाख छात्रों के डेटा के एनालिसिस पर शेप का कर्व बन रहा इसलिए कोई गड़बड़ या लीक नहीं हुआ है. लेकिन इतने बड़े डेटा में लीक और गड़बड़ियां इतने सूक्ष्म स्तर पर हुई हैं कि उसे इतनी आसानी से नहीं पकड़ा जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि बहादुरगढ़ में एक हरदयाल स्कूल था. 8 छात्र अंदर गए और केनरा बैंक से प्रश्नपत्र लिए गए . यह यहां दर्ज नहीं है . यह एक गंभीर बात है. उन्होंने आगे कहा कि एनटीए ने कभी इसका खुलासा नहीं किया कि हरदयाल स्कूल झज्जर में केनरा बैंक से प्रश्नपत्र बिना किसी देरी के वितरित किया गया था.  प्रिंसिपल ने वीडियो पर कहा कि पेपर एसबीआई और केनरा से लिया गया था और केनरा बैंक का पेपर वितरित किया गया था . इसका कभी खुलासा नहीं किया गया . 1563 छात्रों को ग्रेस अंक कैसे दिए गए. फिर दोबारा परीक्षा हुई. अदालत ने ये जांच नहीं की. 

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याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील पर CJI ने पूछा कि क्या टॉप रैंक वाला छात्र गुंटूर से है. इसपर SG (सॉलिसिटर जनरल) ने जवाब में कहा हां. फिर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जयपुर के नौ लोग हैं, जिन्हें आईआईटी ने अपनी रिपोर्ट में शामिल नहीं किया है. फिर SG ने बताया कि लखनऊ में चार छात्र हैं जो टॉप 100 में हैं लेकिन वे सभी अलग-अलग संस्थानों से हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने जयपुर का जिक्र करते हुए कहा कि 9 छात्र टॉप 100 मे थे जिनमें से 2 को ही लिया है. 

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NTA की  भूमिका आईआईटी JEE में क्या भूमिका है - CJI

CJI चंद्रचूड़ : NTA की  भूमिका आईआईटी JEE में क्या भूमिका है? 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता : NTA ने JEE Mains कराया था. IIT मद्रास के डायरेक्टर NTA एक्स ऑफिशियो सदस्य होते हैं, लेकिन उन्होंने किसी दूसरे को इसके लिए नियुक्त किया था.

CJI :  IIT मद्रास की रिपोर्ट में क्या कुछ कहा गया है वो बताया जाए. 

NTA पर भरोसा नहीं कर सकते - याचिकाकर्ता के वकील ने CJI

याचिकाकर्ता के वकील : IIT मद्रास का एक निदेशक NTA के गवर्निंग बॉडी में हैं. ऐसे में हम NTA पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.

CJI : IIT मद्रास में काम करने वाला कोई NTA का पार्ट है. फिर SG ने कहा कि वर्तमान में काम करने वाला कोई नहीं है. 

131 छात्र दोबारा से चाहते हैं परीक्षा - SG

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता : 131 ऐसे छात्र हैं जो री-टेस्ट चाहते हैं. जबकि 254 ऐसे छात्र भी हैं जो ऐसा नहीं चाहते. जो 131 छात्र हैं वो 1 लाख 8 हजार के अंदर नहीं आते हैं. जो 254 छात्र हैं वो 1 लाख 8 हजार के अंदर आते हैं लेकिन दोबारा परीक्षा नहीं चाहते हैं. 

NTA ने सभी छात्रों का रिजल्ट घोषित नहीं किया - याचिकाकर्ता के वकील 

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी दलील में कहा कि NTA ने सभी अभ्यार्थियों का रिजल्ट घोषित नहीं किया है. जबकि दूसरी परीक्षाओं में ऐसा नहीं किया गया है. इसपर CJI चंद्रचूड़ ने पूछा कि सरकारी कॉलेजों में कितनी सीटें हैं. याचिकाकर्ता के वकील ने जवाब दिया कि कुल सीटों की संख्या 56 हजार हैं. ऐसे में कम से कम एक लाख छात्रों का रिजल्ट घोषित किया जाना चाहिए. इसपर CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या आपके हिसाब से कुछ लोग 1 लाख 8 हजार के केटेगरी में आ गए है? आप पहले फैक्ट्स पर बात करें. 1 लाख 8 हजार में कितने याचिकाकर्ता हैं ये भी पता चले. और इनमें से कितने छात्र अभी तक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं इसकी भी जानकारी होनी चाहिए. 

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