"हमारे हितों के खिलाफ नहीं किया कोई काम..." : विदेश मंत्री ने बताई भारत से कैसी है रूस की दोस्ती

जयशंकर ने कहा, "रूस अपने हितों के लिए एशिया की ओर रुख कर रहा है. ऐसे में एक एशियाई देश के रूप में हमें भी अपने हितों के बारे में सोचना चाहिए. इसमें कोई बुराई नहीं है.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)23 और 24 अक्टूबर को 16वें ब्रिक्स समिट 2024 (BRICS Summit 2024) में शिरकत करने रूस के दो दिनों की यात्रा पर जा रहे हैं. यह समिट रूस के कजान शहर में होगी. 2 साल पहले रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) में जंग की शुरुआत के बाद अमेरिका-ब्रिटेन समेत कई देशों ने रूस पर तमाम तरह के बैन लगाए थे. लेकिन, भारत ने रूस के साथ कारोबार करना जारी रखा था. रूस के साथ रिश्ते को लेकर भारत ने हमेशा से अपना स्टैंड क्लियर रखा है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने NDTV World Summit 2024 में एक बार फिर से रूस को भारत का एक अहम साझेदार बताया है.

नई दिल्ली में हुए NDTV World Summit 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "आज के समय में रूस के स्थिति काफी अलग है. कई देशों के साथ उसके रिश्ते खराब हुए हैं. लेकिन अगर आप आजादी के बाद  भारत के साथ रूस के संबंधों को देखें, तो रूस ने हमारे हितों को प्रभावित करने के लिए कुछ भी नहीं किया है." 

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अपने हितों के बारे में सोचने में बुराई नहीं
जयशंकर ने कहा, "रूस अपने हितों के लिए एशिया की ओर रुख कर रहा है. ऐसे में एक एशियाई देश के रूप में हमें भी अपने हितों के बारे में सोचना चाहिए. इसमें कोई बुराई नहीं है. रूस नैचुरल रिसोर्सेस का एक हब है. डेवलपमेंट के इस स्टेज में हमें भी बड़े रिसोर्स की जरूरत है. लोग रूस के तेल की बात करते हैं. लेकिन बात सिर्फ रूस के कच्चे तेल की नहीं है. यह फर्टिलाइजर्स, कोयला, मेटल भी हो सकता है."

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एक बैलेंस बनाकर चलने की जरूरत
विदेश मंत्री ने कहा, "अगर हम यूरेशियन लैंडमार्क को देखें, तो वहां 3 बड़े देश हैं. इसलिए आपको हमेशा एक बैलेंस बनाकर चलने की जरूरत है. हमें उन देशों के साथ अच्छे रिश्ते बनाकर चलने होंगे. यह एक स्ट्रैटजिक लॉजिक है. ओवरऑल देखें, तो रूस के साथ हमारे रिश्ते पॉजिटिव रहे हैं. हमें इसे संजो कर रखना चाहते हैं."

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PM मोदी पर बढ़ा दुनिया का भरोसा
इस दौारन जयशंकर ने भारत और PM मोदी पर दुनिया के बढ़ते भरोसे का जिक्र किया. उन्होंने कहा, "आज दुनिया में बहुत कम ऐसे नेता हैं, जो रूस के बाद यूक्रेन का दौरा कर सकते हैं. दोनों जगहों पर अपनी बात खुलकर रख सकते हैं.

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एस जयशंकर ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी रूस गए और उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की. फिर वे कीव गए. अभी यूक्रेन में युद्ध चल रहा है. कितने देश, कितने प्रधानमंत्री, कितने नेता, मॉस्को जाकर खुलकर बात कर सकते हैं, कीव जाकर खुलकर बात कर सकते हैं, मॉस्को जा सकते हैं और फिर कीव जा सकते हैं?"

मिडिल ईस्ट में भी बढ़ा भरोसा
जयशंकर ने कहा, "इसी तरह, मिडिल ईस्ट में एक और जंग चल रही है. अब, बहुत से लोग नहीं जानते कि पिछले साल भी, हमने ईरान और इजरायल के साथ कितनी बार बातचीत की है. लोगों को हम पर भरोसा है कि हम उनके हितों के लिए खड़े होंगे."

9 जुलाई को PM मोदी ने किया था रूस का दौरा
9 जुलाई को PM मोदी रूस के दौरे पर गए थे. वहां उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को गले लगाया था. PM मोदी ने पुतिन से यूक्रेन में जंग खत्म करने और शांति की अपील की थी. भारत हमेशा से ही जंग के बजाय आपसी बातचीत और शांति से समस्या को हल करने का पक्षधर रहा है. 

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पुतिन ने की PM मोदी की तारीफ
वहीं,  न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को मीडिया ब्रीफिंग में PM मोदी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि PM मोदी जंग रोकने को लेकर हमेशा फिक्रमंद रहते हैं. जब भी उनसे बातचीत होती है, वे हर बार इस मुद्दे को उठाते हैं और अपने विचार रखते हैं. इसके लिए हम PM मोदी का आभार जताते हैं.

पुतिन ने कहा कि रूस शांतिपूर्ण तरीके से यूक्रेन संकट को समाप्त करना चाहता है. हमने इसे खत्म करने के लिए कोशिश शुरू की, लेकिन यूक्रेन ने वार्ता रोक दी. उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों की वजह से जंग जारी है. इसमें हमारी जीत जरूर होगी.

पाकिस्तान पर क्या बोले जयशंकर?
एस जयशंकर 15 और 16 अक्टूबर को SQUAD समिट में हिस्सा लेने पाकिस्तान गए थे. 9 साल बाद किसी भारतीय नेता का ये पाकिस्तान दौरा था. इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का बयान भी सामने आया, जिसमें उन्होंने भारत के साथ दोबारा से कारोबार बहाल करने की अपील की थी. समिट में पाकिस्तान को लेकर पूछे गए सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "इस्लामाबाद में हुई क्वॉड समिट में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से व्यक्तिगत मुलाकात नहीं हुई." 

विदेश मंत्री ने कहा, "मैं SCO का एक अच्छा सदस्य हूं. हम पहले बहुत सहयोगी थे और चाहते थे कि कार्यवाही सुचारू रहे. लेकिन चीजें वैसी नहीं हुई. क्वॉड समिट में मैंने हाथ मिलाया और वापस आ गया."


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