दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन की किल्लत को लेकर NDTV की खबर का किया जिक्र

जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि अभी एक साथी जज ने NDTV की खबर भेजी है कि गंगाराम में कुछ घंटों की ऑक्सीजन बची है

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दिल्ली उच्च न्यायालय.
नई दिल्ली:

दिल्ली में ऑक्सीजन की किल्लत और कोरोना वायरस संक्रमण बढ़ने से बने गंभीर हालात पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में फिर NDTV की खबर का जिक्र किया गया. जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा कि अभी एक साथी जज ने NDTV की खबर भेजी है कि गंगाराम में कुछ घंटों की ऑक्सीजन बची है. कोर्ट में आज दो बार एनडीटीवी की खबर का जिक्र हुआ. पहले वैक्सीन की बर्बादी को लेकर एनडीटीवी भी खबर का उल्लेख किया गया.

कोविड के प्रकोप से जूझती दिल्ली में ऑक्सीजन की बढ़ती किल्लत को लेकर एक केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के जजों और वकीलों ने डरावने हालात के बारे में बात करते हुए NDTV की ख़बर का ज़िक्र किया. एक जज ने NDTV के उस फ्लैश का ज़िक्र किया, जिसमें बताया गया था कि दिल्ली के जाने-माने गंगाराम अस्पताल में सिर्फ 6-7 घंटे के लिए ही ऑक्सीजन बची है. जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा, "मेरे एक जज भाई ने अभी इसे मुझे व्हॉट्सऐप पर भेजा है..." एक वकील ने कहा, "NDTV ने भी ऑक्सीजन को लेकर खतरनाक होती स्थिति के बारे में अभी फ्लैश किया है..." हाईकोर्ट ने कहा, "हम नहीं जानते, इसके बारे में क्या करना है... यह खतरनाक है..."

कोर्ट ने यह भी कहा, "हमें पता चला है कि गंगाराम (अस्पताल) और मैक्स (अस्पताल) में ऑक्सीजन अगले आठ घंटों में खत्म होने वाली है... ऑक्सीजन की ज़रूरत अभी है... इस संदर्भ में की गई कोई भी देरी कीमती जानों के नुकसान तक ले जाएगी..."

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दिल्ली में कोरोना से हालात बेकाबू हैं. इसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जैसे हालात बने हैं उनके चलते अदालत रोजाना सुनवाई करेगी. वहीं केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि कुछ महत्वपूर्ण उद्योगों को छोड़ कर अन्य उद्योगों के लिए ऑक्सीजन सप्लाई पर 2 अप्रैल से रोक लगी हुई है, ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने के लिए, पीएम CARES फंड्स के समर्थन से दिल्ली में 8 PSA ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाए जा रहे हैं. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों का पहले टेस्ट हो उनकी रिपोर्ट पहले तैयार कर दी जाए. 

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दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या आर्थिक हित लोगों की जान से ऊपर नहीं हैं. आप इतना असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं. आधिकारिक तौर पर 130 करोड़ में से दो करोड़ केस भी नहीं हुए हैं. अगर इसके पांच गुणा भी मान लें तो दस करोड़ होंगे. हम आपदा की तरफ जा रहे हैं. हमारी प्राथमिकता जान बचाने की होनी चाहिए. हम सरकार नहीं चला रहे हैं लेकिन सरकार कदम नहीं उठा रही है. हर दस दिन में संख्या डबल हो रही है.

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कोर्ट ने कहा, 'हम ये नहीं कह रहे कि स्टील और पेट्रोलियम को बंद कर दीजिए. हम ये कह रहे हैं कि इनमें उत्पादन कम कर दें. कुछ हफ्तों के लिए ये होगा तो आपके प्लांट चालू हो जाएंगे. हमें नहीं लगता कि इससे कोई नुकसान होगा. यदि लॉकडाउन लगेगा तो स्टील और पेट्रोलियम कहां बिकेंगे.'

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सुनवाई के दौरान जस्टिस विपिन सांघी ने कहा, 'हमारे परिवार के लोग लैब से जुड़े हैं. उनसे पता चला है कि मरीज के ब्योरे के लिए ICMR का पेपर वर्क बहुत समय लेता है. जब आधार कार्ड में है तो फिर अलग से ब्योरा देने की क्या जरूरत है? ये नौकरशाही और अविवेकपूर्ण तरीका है. 

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा, 'ये असाधारण हालात हैं. लैब की क्षमता को लेकर जरूरी कदम उठाएं.' जस्टिस विपिन सांघी ने कहा कि नई लैब नहीं यहां तो जो लैब की क्षमता बढ़ाना चाहते हैं, वो भी इंतजार कर रहे हैं. बॉम्बे में लैब के लिए विदेश से मशीनें मंगाई हैं लेकिन चार दिनों से कस्टम उन्हें क्लीयर नहीं कर रहा. ICMR को भी कार्रवाई आसान करनी चाहिए.'

इस पर केंद्र सरकार ने कहा कहा कि इस संबंध में तुरंत कदम उठाए जाएंगे और आज ही शाम तक आदेश जारी किए जाएंगे. 

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