NDTV Battleground: कर्नाटक में मोदी फैक्टर कितना कारगर? क्या BJP के मिशन-370 में करेगा मदद, जानें एक्सपर्ट्स की राय

कर्नाटक के वोटर्स हमेशा लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बीच साफ अंतर रखते हैं. इसका एक बेहतरीन उदाहरण 1984 और 1985 के चुनाव में देखने को मिला था. 2023 के इलेक्शन में भी हमने ये उदाहण देखा. अब 2024 की जंग कांग्रेस की 'गारंटी' बनाम मोदी की 'गारंटी' हो गई है.

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नई दिल्ली/बेंगलुरु:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) का आगाज 19 अप्रैल से पहले फेज की वोटिंग के साथ होने जा रहा है. वोटिंग की डेट जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यह साफ होता जा रहा है कि कर्नाटक (Karnataka) में कांग्रेस (Congress) सरकार की लोकप्रियता का मुकाबला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से है. कांग्रेस ने सत्ता में वापसी के लिए कर्नाटक की जनता को 5 गारंटियां दी थी. सिद्धारमैया (Siddharamaiah) ने सीएम बनते ही उन वादों को पूरा किया है. लेकिन कांग्रेस की 'गारंटी' के आगे अब पीएम मोदी की 'गारंटी' आ गई है. ऐसे में सवाल ये है कि लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में मोदी फैक्टर कितना कारगर साबित होगा? NDTV के खास शो 'बैटरग्राउंड' में एक्सपर्ट्स ने ऐसे ही सवालों के जवाब दिए. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बेशक 2024 के चुनाव में कर्नाटक में मोदी फैक्टर बड़ा रोल निभाने वाला है. 

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कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटें आती हैं. कर्नाटक को दक्षिण भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है. क्या बीजेपी मोदी फैक्टर के जरिए यहां अपना लक्ष्य हासिल कर पाएगी? इसके जवाब में पॉलिटिकल एक्सपर्ट और लोकनीति के नेशनल कंविनर (राष्ट्रीय संयोजक) संदीप शास्त्री ने कहा, "कर्नाटक के वोटर्स हमेशा लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के बीच साफ अंतर रखते हैं. इसका एक बेहतरीन उदाहरण 1984 और 1985 के चुनाव में देखने को मिला था. 2023 के इलेक्शन में भी हमने ये उदाहण देखा. बात पीएम मोदी की लोकप्रियता की करें, तो वह किसी भी तरह से कम नहीं हुई है. बेशक उनकी लोकप्रियता का असर चुनाव में दिखेगा. कर्नाटक में मोदी फैक्टर काफी अहम रोल निभाएगा."

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कर्नाटक में अपना परफॉर्मेंस रिटेन करना चाहेगी BJP
संदीप शास्त्री ने कहा, "दक्षिण भारत को देखें, तो 103 लोकसभा सीटें यहां हैं. पिछली बार NDA को इनमें से 30 सीटें मिली थी. NDA का स्ट्राइक रेट 21 फीसदी था. उत्तर भारत में NDA को 90 फीसदी स्ट्राइक रेट मिला. जबकि दक्षिण भारत में 21 फीसदी स्ट्राइक रेट था. सवाल ये है कि क्या इस स्ट्राइक रेट को NDA ज्यादा कर सकता है? क्या BJP के विरोधी पक्ष अपना पक्ष मजबूत कर सकते हैं? मुझे लगता है कि BJP साउथ को जीतने के लिए तेलंगाना में अपना परफॉर्मेंस सुधारने की कोशिश करेगी. वहीं, कर्नाटक में अपने पिछले परफॉर्मेंस को रिटेन करने के लिए और मेहनत करेगी."

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कर्नाटक का वोटिंग पैटर्न बाकी राज्यों से अलग
वहीं, आरिन कैपिटल पार्टनर्स के चीफ टीवी मोहनदास पई कहते हैं, "कर्नाटक का वोटिंग पैटर्न बाकी राज्यों से कुछ अलग होता है. हम कैश, सब्सिडी के बारे में नहीं सोच रहे हैं. वोटिंग पैटर्न में जाति-धर्म और संप्रदाय से ज्यादा एजुकेशन, जॉब और टेक्निकल स्किल डिसाइंडिंग फैक्टर होते हैं. कर्नाटक में नफरत की राजनीति नहीं चलती."

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आरिन कैपिटल पार्टनर्स के चीफ टीवी मोहनदास पई कहते हैं, "कर्नाटक कुछ हद तक भविष्य के लिए भारत की झलक दिखाता है. वोटिंग में ये सोच भी दिखेगी. हालांकि, कर्नाटक में इस बार कांग्रेस काफी बेहतर स्थिति में है. BJP भी अब पूरे राज्य में लगभग समान रूप से फैल गई है."

सिद्धारमैया की गारंटी खत्म
अरिन कैपिटल पार्टनर्स के अध्यक्ष टीवी मोहनदास पई कहते हैं, "कर्नाटक में सिद्धारमैया की गारंटी खत्म हो गई है. विधायक भी परेशान हैं. लोग पीएम मोदी का विकास चाहते हैं. पीएम मोदी ने सुनिश्चित किया है कि हर भारतीय के पास बैंक अकाउंट हो. दो वक्त का खाना हो. हेल्थ इंश्योरेंस हो. बेशक बेंगलुरु में नौकरियां हैं, लेकिन 80% नौकरियां 20,000 से कम वेतन देती हैं. दक्षिण भारत में जॉब सरप्लस (नौकरी अधिशेष) है. यहां इंटर्नल माइग्रेशन शिफ्ट हो गया है."

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बेंगलुरु के लिए जाति-धर्म नहीं, शिक्षा है मुख्य मुद्दा
इंवेंचर एकेडमी की फाउंडर और CEO नूरैन फजल कहती हैं, "एक बैंगलोरियन होने के नाते मैं कह सकती हूं कि हमारे लिए जाति-धर्म या मंदिर-मस्जिद चुनावी मुद्दा नहीं है. हमारे लिए एजुकेशन मुख्य मुद्दा है. कर्नाटक के लोगों में बहुत संभावनाएं होती हैं. भारत दुनिया में सबसे युवा आबादी वाला देश है. लेकिन अगर हम एजुकेशन सिस्टम में बदलाव नहीं करते हैं और ये नहीं समझते हैं कि नई दुनिया को नई लर्निंग की जरूरत है. तब तक हम तेजी से आगे नहीं बढ़ पाएंगे. आज के युवाओं को अलग तरह का एजुकेशन सिस्टम चाहिए."

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एंटरप्रेन्योरशिप पर फोकस
इन्वेंचर एकेडमी की फाउंडर और CEO नूरैन फज़ल ने कहा, "जब हमारी पीढ़ी बड़ी हो रही थी, तब भी भारत आकांक्षी था. लेकिन इसमें आत्मविश्वास की कमी थी. अब ऐसा नहीं है. अब युवा भारत आकांक्षी भी है और आत्मविश्वासी भी." नूरैन फज़ल कहती हैं, "आज एक भारतीय के रूप में आप दुनिया में कहीं भी जाएं, आप अपना सिर ऊंचा करके जा सकते हैं. बेंगलुरु की वजह से बहुत कुछ बदल गया है. लोग अब पूछते हैं क्या आप आईटी में काम करते हैं, क्या आप भारत की सिलिकॉन वैली से आते हैं?"

नूरैन फज़ल ने कहा कि चुनाव में उनका ध्यान इस बात पर होगा कि कौन सी पार्टी एजुकेशन सिस्टम को ठीक करने और भारत की क्षमता का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने पर काम करती है. हमें नई शिक्षा नीति जैसी नीतियों को अपनाने की जरूरत है... हमें रोजगार, उद्यमिता और व्यापार करने में आसानी बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है."


 

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दक्षिण भारत को साधने के लिए पीएम लगा रहे जोर
सीनियर जर्नलिस्ट और लेखक श्रीनिवासराजू ने कहा, "कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण में BJP की कोई मौजूदगी नहीं है. अकेले तमिलनाडु में पीएम मोदी ने जनवरी से अब तक 26 दौरे किए हैं. वह लगातार सांस्कृतिक एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं. पीएम सेनगोल को नई संसद में ले गए. रजनीकांत उनके पक्ष में हैं. वह चीनी राष्ट्रपति को तमिलनाडु ले गए थे. दक्षिण भारत को साधने के लिए पीएम इस हद तक का जोर लगा रहे हैं." 

महिलाएं और युवाओं को चाहिए विकास
YourStory की फाउंडर और CEO श्रद्धा शर्मा कहती हैं, "आज बड़ी बात यह है कि हम क्षमाप्रार्थी भारत में नहीं हैं. युवा अगले 10 साल की ओर देख रहे हैं. यह नया भारत है. यहां महिलाएं और युवा आत्मविश्वास से मतदान करेंगे." श्रद्धा शर्मा कहती हैं, "मैं बिहार से हूं और बेंगलुरु ने मुझे खुले दिल से स्वीकारा है. जब आप ओला, ज़ेरोधा, फ्लिपकार्ट और अन्य जैसे स्टार्टअप देखते हैं, तो गर्व होता है कि वे रोजगार पैदा कर रहे हैं." 

दक्षिण भारत में क्या है BJP की स्थिति?
केरल में पिछले 3 लोकसभा चुनाव की बात करें, तो यहां NDA को एक भी सीट नहीं मिली. लेकिन वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है. तमिलनाडु में सहयोगी पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के अलग होने के बाद BJP यहां अलग-थलग पड़ गई है. तेलंगाना में 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने 4 सीटें जीती थीं, लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद यहां कांग्रेस भारी नजर आ रही है. आंध्र प्रदेश में भी BJP का ग्राफ नहीं उठ रहा है. एकमात्र कर्नाटक में BJP का परफॉर्मेंस बेहतर है.

2019 के चुनाव में किस पार्टी ने जीती कितनी सीटें?
कर्नाटक में 2019 के इलेक्शन में BJP ने 28 में से 25 सीटें जीतीं. बची 3 सीटों में एक-एक सीट कांग्रेस, जेडीएस और निर्दलीय के खाते में गई थी. बेंगलुरू रुरल से कांग्रेस के उम्मीदवार डीके सुरेश ने सांसदी का चुनाव जीता था.

2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने की सत्ता में वापसी
2023 के चुनावों में कांग्रेस ने कर्नाटक में वापसी करते हुए बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया था. कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का यह गृह राज्य है. ऐसे में पार्टी को 2024 के चुनावों में सीटों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है. 

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